Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में 9 आरोपियों को मिला संदेह का लाभ, अदालत ने किया बरी
Delhi High Court: अदालत ने कहा कि दिल्ली दंगे जैसे मामलों में अगर गवाह एक ही हो तो आरोपियों को संदेश का लाभ दिया जा सकता है. सिर्फ एक व्यक्ति की गवाही पर किसी को आरोपी नहीं माना जा सकता.
Delhi Crime News: करीब तीन साल पहले सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली (Delhi) में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में निचली अदालत ने नौ आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया. नौ लोगों पर 25 फरवरी, 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में चमन पार्क इलाके में एक दुकान में लूटपाट और आगजनी करने का आरोप था. शनिवार को दिल्ली की निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि दंगे के मामले में इकलौता गवाह एक हेड कांस्टेबल था, लेकिन किसी मामले में एकमात्र गवाही पर्याप्त नहीं हो सकती कि ये लोग भीड़ का हिस्सा थे.
इस बात को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि मुझे लगता है कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं वो संदेह से परे साबित नहीं हुए हैं. इसलिए आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है.
संदेह का लाभ देने की है ये वजह
साल 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में गोकलपुरी (Gokulpuri) थाना पुलिस ने शाहरुख, राशिद, मो. शाहनवाज, मो. शोएब, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मो. फैसल और राशिद पर दंगा सहित भारतीय दंड संहिता की कई अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. अब अदालत ने कहा कि दंगाई भीड़ द्वारा उपद्रव और आगजनी जैसे गैरकानूनी काम अच्छी तरह से स्थापित होते हैं लेकिन भीड़ में आरोपी व्यक्तियों के शामिल होने के लिए हेड कांस्टेबल विपिन ही इकलौते गवाह थे. अदालत ने कहा कि आरोपियों का विवरण जानने के बावजूद, उनकी संलिप्तता की जानकारी औपचारिक रूप से सात अप्रैल, 2020 तक दर्ज नहीं की गई थी.
अदालत ने कहा कि दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों को इस तरह की महत्वपूर्ण सूचना देने में देरी को लेकर किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था. न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस तरह की स्थिति में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ दिया जाता है.
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