उमर, शरजील सहित 7 आरोपी जेल में फिर उठा पाएंगे विशेष सुविधा का लाभ, जानें कोर्ट ने जेल प्रशासन को क्यों दी ये हिदायत
Delhi Riots 2020: दिल्ली दंगा मामले में राजधानी की एक अदालत ने उमर खालिद और शरजील इमाम सहित 7 कैदियों के लिए जेल में फोन कॉल की सुविधा फिर से बहाल किया.
Delhi Riot Chief Accused Umar Khalid, Sharjeel Imam: करीब तीन साल पहले देश की राजधानी में घटित दिल्ली दंगा (Delhi Riots 2020) के मुख्य आरोपियों की याचिका पर एक दिन पहले एक बार फिर सुनवाई हुई. इस मामले में दिल्ली की एक अदालत (Delhi Court) ने सुनवाई के दौरान जेल (Jail) में कैद उमर खालिद (Umar khalid) और शरजील इमाम (Sharjeel Imam) सहित 7 आरोपियों को मिल रही एक खास सुविधा को लेकर जेल प्रशासन से सख्त नाराजगी का इजहार किया. दिल्ली की कोर्ट ने तिहाड़ जेल (Tihar jail) के अधिकारियों को 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में शरजील इमाम और उमर खालिद समेत 7 आरोपियों को सप्ताह में तीन बार 5 मिनट के लिए कैदी टेलीफोन कॉल की सुविधा (prisoner telephone call facility) फिर से बहाल करने के निर्देश दिए हैं.
इससे पहले दिल्ली की अदालत ने गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के अन्तर्गत कई आरोपों का सामना कर रहे उमर खालिद और शरजील इमाम को न्यायिक हिरासत की शुरुआत से दैनिक आधार पर 5 मिनट के लिए कॉल सुविधा देने के मसले पर जेल प्रशासन को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन बिना भेदभाव के जेल नियमों का पालन करे. साथ ही बिना किसी भेदभाव के इस मामले में निरंतरता बनाए रखे. बता दें कि उमर खालिद, इमाम, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, शरजील इमाम, तस्लीम अहमद और अतहर खान ने अपने-अपने परिवारों के साथ बातचीत के लिए रोजाना 5 मिनट की फोन कॉल सुविधा जारी रखने के लिए अर्जी दी थी. जेल प्रशासन ने यह सुविधा सितंबर 2022 में समाप्त कर दी थी.
एक और आरोपी ने लगाई फोन कॉल सुविधा के लिए अर्जी
स बात यह है कि दिल्ली दंगा मामले के एक अन्य आरोपी मीरान हैदर ने भी दैनिक फोन कॉल की सुविधा देने के लिए अदालत के सामने अर्जी लगाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने संबंधित जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे कैदियों को अपने-अपने परिवारों से बात करने के लिए सप्ताह में 3 बार 5-5 मिनट की फोन कॉल सुविधा प्रदान करें.
क्या है दिल्ली दंगा 2020
फरवरी 2020 में एनआरसी और सीएए कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिनमें 53 लोग मारे गए थे. मरने वालों में 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे. हिंसक घटना में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस घटना में एक पुलिस अधिकारी और एक प्रदर्शनकारी की भी मौतें हुई थी. सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने परस्पर एक-दूसरे पर पथराव किया था. घरों, वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुई थीं.
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