Delhi Riots Case: अदालत ने खारिज की यूएपीए के तहत गिरफ्तार आरोपी की जमानत, कहा- ये सोची समझी साजिश थी
Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने 2022 में दंगों में शामिल सलीम मलिक की जमानत पर रोक लगा दी है. कोर्ट का कहना है कि,आरोपी चांद बाग विरोध स्थल के आयोजकों में से एक था, जहां भड़काऊ भाषण दिए गए थे
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Delhi News: दिल्ली (Delhi) के एक अदालत ने 2020 में राजधानी में हुए दंगों (Delhi Riots) के एक मामले में गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि ये मानने के लिए उचित आधार मौजूद हैं कि उसके खिलाफ आरोप सही थे.
कोर्ट ने खारिज की आरोपी की जमानत
बता दें कि अदालत दंगों में हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार सलीम मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान जज ने कहा कि, चूंकि ये मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी सलीम मलिक के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं. इसलिए यूएपीए और दंड प्रक्रिया संहिता की संबंधित धाराओं के आधार पर जमानत पर रोक लगाई जाती है.
53 लोगों की गई थी जान
अदालत ने ये भी कहा कि, आरोपी चांद बाग विरोध स्थल के आयोजकों में से एक था, जहां भड़काऊ भाषण दिए गए थे . अदालत ने कहा कि, अभियोजन पक्ष द्वारा दायर सीसीटीवी फुटेज में दंगाइयों हथियार लिए हुए थे और उन्होंने वजीराबाद मार्ग को बंद करके क्रूर तरीके से पुलिस कर्मियों पर हमला किया था. उन्होंने कहा कि, इन दंगों में 53 पीड़ितों की जान चली गई. जिनमें पुलिस अधिकारी भी शामिल थे, और सार्वजनिक संपत्ति का बड़े पैमाने पर विनाश और आवश्यक सेवाओं को बाधित किया गया. इसमें कहा गया है, ये कहना आसान होगा कि, ये अचानक की गई कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक सोची समझी साजिश थी.
दंगों की साजिश में शामिल था आरोपी
अदालत ने आगे कहा कि दंगों के वक्त आरोपी सलीम पूर्वोत्तर दिल्ली में मौजूद था और अन्य आरोपी लोगों से जुड़ा था. कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट के मुताबिक आरोपी ने साजिश में हिस्सा लिया और ये जरूरी नहीं है कि हर आरोपी साजिश के हर पहलू में अपनी भूमिका निभाए. अपराध शाखा ने आरोपी के खिलाफ दंगा और हत्या सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया था.
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