Delhi News: दिल्ली के इस अस्पताल में रोबोट ने किया दिल का इलाज, मुफ्त में हुई पहली रोबोटिक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी
Delhi News: सामान्य सर्जरी में दिल के ऊपरी हिस्से की हड्डी को काटना पड़ता और महिला के शरीर से काफी खून भी बह जाता, लेकन रोबिटक प्रक्रिया से केवल तीन छेद करके महिला का इलाज हो गया.
Delhi News: दिल्ली के सफदजंग अस्पताल में पहली बार किसी दिल के मरीज का रोबोट के जरिए इलाज किया गया है. डॉक्टरों ने चिकित्सा विज्ञान में इसे मील का पत्थर करार दिया है. दरअसल 54 वर्षीय एक महिला दिल के दर्द से परेशान थी, उसका शरीर इतना मजबूत नहीं था कि वह सर्जरी का जख्म सह पाती. रोग बढ़ता ही जा रहा था. डॉक्टर भी उसकी बीमारी देखकर परेशान थे. ऐसे में उम्मीद की किरण बना रोबोट.
डॉक्टरों ने किया रोबोट से सर्जरी करने का फैसला
डॉक्टरों ने सफदरजंग अस्पताल में हाल ही में शुरू हुए रोबोटिक प्रोग्राम के जरिए मरीज की सर्जरी करने का फैसला किया और डॉक्टरों का यह फैसला एकदम सही साबित हुआ. यदि डॉक्टर हाथ से उसका इलाज करते तो उसके शरीर की पसलियां तोड़नी पतड़ी और उसके शरीर से काफी खून भी बहता, लेकिन रोबोट सर्जरी में ऐसा कुछ नहीं हुआ. न महिला की पसली तोड़नी पड़ी और न उसके शरीर से ज्यादा खून बहा.
तेजी से स्वस्थ हो रही महिला
डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी के बाद महिला तेजी से स्वस्थ हो रही है. यह पहली बार है जब सफदरजंग अस्पताल में सफल रोबोटिक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी हुई है. इस विधि की मदद से केवल तीन छेद से दिल का इलाज हो गया. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीएल शेरवाल ने इसे मील का पत्थर बताया.
माइस्थीनिया ग्रेविस से पीड़ित थी महिला
अस्पताल में कार्डियोथोरेसिक वैस्कुल सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) के प्रमुख डॉ. अनुभव गुप्ता ने बताया कि महिला 10 सितंबर को भर्ती हुई थी. उसकी हालत को देखते हुए विभाग से डॉ. खुशवंत. डॉ. अजीत, एनेस्थीसिया से डॉ. वीरेंद्र, डॉ. इरा को टीम में शामिल किया गया, इनकी मदद से 17 सितंबर को पहली बार सफल रोबोटिक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी की गई. डॉ. गुप्ता ने बताया कि महिला माइस्थीनिया ग्रेविस से परेशान थी और उसके दिल के पास थाइमेक्टोमी बढ़ रहा था.
उन्होंने बताया कि महिला का शरीर सामान्य रूप से सर्जरी के लायक नहीं था. इसमें दिल के ऊपरी हिस्से की हड्डी को काटना पड़ता है. ऐसे में हमने रोबोट की मदद से सर्जरी करने का फैसला किया. रोबोट की मदद से तीन पोट डाल कर दिल के पास जमा थाइमेक्टोमी को आसानी से निकाल दिया गया. महिला अब स्वस्थ है और उसे अब अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है.
एम्स में नहीं यह सुविधा
बता दें कि एम्स सहित देश के बड़े सरकारी अस्पतालों में भी रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस तकनीक से मरीज को कम दर्द में बेहतर इलाज मिलता है और वह ठीक भी तेजी से होता है. सफदरजंग में कुछ ही समय पहले यह सुविधा शुरू हुई है. हालांकि देश के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में यह सुविधा है. प्राइवेट अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी का खर्ज 5 से 15 लाख रुपए तक आता है जबकि सफदरजंग में यह सुविधा बिल्कुल मुफ्त है.
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