Delhi News: हाईटेक ठगों के गैंग का भंडाफोड़, नौकरी का झांसा देकर 300 लोगों को ठगा, मास्टरमाइंड सहित 2 गिरफ्तार
नेताजी सुभाष प्लेस स्थित ऑफिस पर छापा मारा गया, जहां 08 लेडीज और 02 जेंट्स मौजूद थे. पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे जुबेर खान नाम के एक शख्स के लिए काम करते हैं.
दिल्ली में रोहिणी जिले की साइबर थाना की पुलिस टीम ने हाईटेक ठगों के एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो नौकरी की तलाश कर रहे भोले-भाले युवाओं से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की पहचान, मास्टरमाइंड जुबेर खान और अनिल शर्मा के रूप में हुई है. ये उत्तराखंड के हल्द्वानी और दिल्ली के उत्तम नगर के रहने वाले हैं. गिरफ्तारी के बाद 11 मोबाइल और 220 सिम कार्ड बरामद बरामद हुए हैं और आगे पूछताछ के बाद जांच चल रही है.
कैसे हुआ ठगी गैंग का खुलासा
डीसीपी प्रणव तयाल के अनुसार, ठगी के इस गैंग का खुलासा तब हुआ जब, एनसीआरपी पर एक शिकायतकर्ता राजेश कुमार ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज की. शिकायतकर्त्ता ने अपनी शिकायत में बताया कि उसने कई ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर अपना रेज्यूमे अपलोड किया था जिसके आधार पर उसके पास एक महिला की कॉल आयी थी, जिसने उससे ली गयी जानकारी और उसके रेज्यूमे के आधार पर प्राईवेट जॉब के लिए उसका इंटरव्यू शेड्यूल कर नेताजी सुभाष प्लेस स्थित ऑफिस का एड्रेस उपलब्ध करवाया जहां दिए गए इंटरव्यू के बाद उसे जॉब कन्फर्मेशन का लेटर दिया गया, और 6500 रुपये उससे सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिए गए.
इसके बाद उसे कहा गया कि उनके पास एक कॉल आएगी, जिसके बाद वो जॉब जॉइन करेंगे लेकिन कुछ दिन बीत जाने के बाद भी शिकायतकर्ता के पास कोई कॉल नहीं आयी तो उसने जॉब से संबंधित पूछताछ के लिए उनसे संपर्क किया, लेकिन ना तो उसे जॉब दी गयी और ना ही उसके पैसे वापस मिले जिसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत एनसीआरपी पर दर्ज की.
डीसीपी ने क्या बताया
डीसीपी ने बताया कि, शुरुआती जांच के बाद रोहिणी साइबर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया. इसके लिए एसीपी ऑपरेशन ईश्वर सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर अजय दलाल के नेतृत्व में एसआई अंकित यादव, अंकुर तोमर, हेड कॉन्स्टेबल अजय, आशीष और अन्य की टीम का गठन किया गया था. जांच के दौरान, तकनीकी विश्लेषण और लोकल इंटेलिजेंस से पता चला कि कथित आरोपी नेताजी सुभाष प्लेस में कहीं रहता है जिसके बाद, आसपास के इलाके से संदिग्धों के बारे में स्थानीय खुफिया जानकारी जुटाई गई और फिर प्राप्त जानकारी के आधार पर नेताजी सुभाष प्लेस स्थित ऑफिस पर छापा मारा गया. जहां 08 लेडीज और 02 जेंट्स मौजूद थे. पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे जुबेर खान नाम के एक शख्स के लिए काम करते हैं. दो महिलाओं ने बताया कि उन्हें सुपरवाइजर के पद पर नियुक्त किया गया था जबकि बाकी लड़कियां टेलीकॉलर का काम करती थीं.
नौकरी दिलाने की आड़ में वसूलता था पैसा
अब तक की गई जांच और जुबेर खान के एम्प्लॉई द्वारा उपलब्ध कराए गए सुरागों के आधार पर कथित जुबेर खान के संभावित ठिकानों पर कई छापे मारे गए और आखिरकार पुलिस ने उसे दबोच लिया. सख्ती से पूछताछ पर आरोपी जुबेर खान ने खुलासा किया कि वो ओखला में वोडाफोन में सॉफ्ट स्किल ट्रेनर के रूप में काम करता था, जहां उसे कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए कंसल्टेंसी सर्विसेज से संपर्क करने का काम सौंपा गया था. उस अवधि में, वह कई प्लेसमेंट एजेंसियों के संपर्क में आया और उनके काम करने के तरीके को सीखा जिसके बाद उसने एक साजिश के तहत 5-6 महीने पहले अपनी अवैध प्लेसमेंट एजेंसी की शुरुआत की. इसके लिए उसने इन प्लेसमेंट एजेंसियों के कुछ विशेषज्ञ कर्मचारियों को काम पर रखा था. वह नौकरी दिलाने की आड़ में उम्मीदवारों से पैसे वसूल करता था.
कैसे देते थे ठगी को अंजाम
ज्यादा से ज्यादा कैंडिडेट को आकर्षित करने के लिए, उसने एक अलग टीम बनाई थी, जो विभिन्न ऑनलाइन नौकरी पोर्टल जैसे शाइन डॉट कॉम, नौकरी डॉट कॉम आदि से नौकरी चाहने वालों के प्रोफाइल की जांच करती थी और उनसे टेलीफोन पर संपर्क करती थी. इसके बाद, वो इच्छुक उम्मीदवारों को नेताजी सुभाष प्लेस के कार्यालय में निर्देशित करते थे, जहां एक लेडी सुपरवाइजर उनका इंटरव्यू कंडक्ट करती थी और जॉब की कन्फर्मेशन लेटर उन्हें देती थी. इसके बदले वो कैंडिडेट के प्रोफाइल के आधार पर प्रति कैंडिडेट 5 से 10 हजार रुपये तक चार्ज करती थी.
करते थे फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल
सभी आरोपियों से पूछताछ और जांच के आधार पर यह पता चला है कि वो जॉब की तलाश कर रहे युवाओं से संपर्क करने के लिए फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे जिसके बाद सिम कार्ड के सोर्स के बारे में जानकारी जुटाई गई और यह पता चला कि सिम की व्यवस्था रंजन कुमार द्वारा की जाती थी जो सिम कार्ड बेचा करता था. इसके बाद, पुलिस ने रंजन कुमार को हिरासत में ले लिया जिसने बताया कि वारदात में इस्तेमाल किया गया सिम कार्ड अनिल शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने बेचा था.
200 से अधिक सिम कार्ड बरामद
उसकी निशानदेही पर पुलिस ने अनिल शर्मा को भी दबोच लिया जिसने बताया कि वह वोडाफोन का एजेंट है और अपनी मोटरसाइकिल पर सिम कार्ड बेचता था. उसने यह भी खुलासा किया कि वह वोडाफोन स्टोर से खाली सिम कार्ड एकत्र करता था और ग्राहक के आवश्यक विवरण एकत्र करने के बाद सिम कार्ड को सक्रिय करता था. उसने आगे बताया कि वह बार-बार फोटो लेने के साथ-साथ ग्राहक के अस्पष्ट अंगूठे के निशान के बहाने कई बार अंगूठे के इम्प्रेशन ले लेता था और इसके आधार पर, वह एक ही ग्राहक के आईडी पर कई सिम कार्ड एक्टिवेट कर देता था. इसके अलावा, वह ऐसे सिम कार्ड अन्य लोगों को विशेष रूप से कॉल सेंटर में काम करने वालों को बेचता था. उसकी तलाशी लेने पर 200 से अधिक सिम कार्ड बरामद हुए. इस मामले में पुलिस दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.