Sajjan Kumar Case: दिल्ली की राउज ऐवन्यू कोर्ट ने मंगलवार (21 जनवरी) को 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ फैसला टाल दिया है. दिल्ली पुलिस ने मामले में कुछ दलील रखने के लिए समय मांगा है. राउज एवेन्यू में न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने अभियोजन पक्ष के समय मांगने के बाद इस फैसले को 31 जनवरी तक के लिए टाल दिया है.
जनकपुरी का मामला 1 नवंबर, 1984 को दो सिखों - सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या से संबंधित है. दूसरा मामला 2 नवंबर, 1984 को गुरुचरण सिंह को जिंदा जलाने से संबंधित है, जो विकासपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था.
ये थे आरोप
सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे, जिसमें दंगा, हत्या का प्रयास, धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और चोट पहुंचाने के आरोप शामिल थे.
नागपाल ने कुमार को मुख्य दुष्प्रेरक बताया था. अदालत ने इस तर्क का समर्थन करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा पेश पर्याप्त मौखिक और दस्तावेजी सबूत पाए थे कि 1 नवंबर, 1984 को दिल्ली के नवादा इलाके में एक गुरुद्वारे के पास हथियारों के साथ गैरकानूनी सभा की गई थी.
हालांकि, कुमार पर इस भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था. उन्हें 2 नवंबर, 1984 को एक अलग घटना में हत्या के आरोप (आईपीसी की धारा 302 के तहत) से मुक्त कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस पार्टी के बाहर दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. उत्तम नगर में कार्यालय.
गैरकानून कृत्यों के लिए उकसाया?
1 नवंबर की घटना के संबंध में अदालत ने पाया था कि कुमार ने प्रथम दृष्टया भीड़ के अन्य अज्ञात सदस्यों को गैरकानूनी कृत्यों के लिए उकसाया था, जिसमें गुरुद्वारा को जलाना, वस्तुओं को नुकसान पहुंचाना या लूटना, घरों को जलाना और व्यक्तियों को चोट पहुंचाना शामिल था.
भीड़ का उद्देश्य गुरुद्वारे को आग लगाना, उसकी सामग्री लूटना, सिख आवासों को नष्ट करना और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के प्रतिशोध में सिखों को नुकसान पहुंचाना या मारना था.
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