Delhi News : 'मरीजों की समस्या समाधान में CME तकनीक की भूमिका अहम ', ICMR के वैज्ञानिक रविंदर सिंह का दावा
Safdarjung Hospital Delhi: सफदरजंग अस्पताल के पीएमआर डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय गुप्ता ने कहा कि पुनर्वास चिकित्सा में अपने रोगियों की देखभाल करने और तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
Delhi Safdarjung Hospital News: दिल्ली के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सफदरजंग अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से सहायक प्रौद्योगिकी और सुगमता पर केंद्रित कन्टीन्यूइंग मेडिकल एडुकेशन (सीएमई) सह वर्कशॉप कार्यक्रम का आयोजन किया. वर्कशॉप में 55 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
सफदरजंग अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. वंदना तलवार ने कहा, "सहायक प्रौद्योगिकी, विकलांगों की स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता बढाने में एक महत्वपूर्ण घटक है. यह सीएमई इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में ज्ञान और अभ्यास को आगे बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है."
उन्होंने आगे कहा कि सहायक प्रौद्योगिकी का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव है. यह निर्भरता और स्वतंत्रता, बहिष्कार और समावेश, सीमित संभावनाओं और समाज में पूर्ण भागीदारी के बीच का अंतर हो सकता है.
'नवाचार को बढ़ावा देना जरूरी'
मुख्य वक्ता आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविंदर सिंह ने कहा, "सहायक प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति ने चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में सुधार के अभूतपूर्व अवसर प्रदान किए हैं. यह मरीजों के लिहाज से किसी वरदान से कम नहीं है. आईसीएमआर में हमारा ध्यान ऐसे शोध का समर्थन करना है जो इन नवाचारों को रोगियों के लिए व्यावहारिक, जीवन-परिवर्तनकारी समाधानों में बदल सके."
सफदरजंग अस्पताल के पीएमआर डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय गुप्ता ने कहा कि पुनर्वास चिकित्सा में अग्रणी के रूप में हम अपने रोगी देखभाल प्रोटोकॉल में अत्याधुनिक सहायक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह सीएमई यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है. हमारी पेशेवर चिकित्सा सेवा इन विकासों में सबसे आगे रहे हैं.
सीएमई क्या है?
सीएमई सतत चिकित्सा शिक्षा (Continuing Medical Education) संक्षिप्त नाम है. इसमें चिकित्सा सेवा से संबंधित कई शैक्षणिक गतिविधियां शामिल हैं, जो आम तौर पर सीएमई कार्यक्रमों के माध्यम से दी जाती हैं. डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य सेवा प्रशासकों जैसे स्वास्थ्य पेशेवरों की तकनीकी समझ विकसित करने में यह काफी मददगार होता है.
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