Delhi Child-labour News: बाल मजदूरी अपराध होने के बावजूद देश की राजधानी के अलग-अलग इलाकों में बच्चों से मजदूरी करवाई जाने के मामले सामने आते हैं. इसी कड़ी में 13 सितंबर यानी मंगलवार को सहयोग केयर टीम ने जिला प्रशासन और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर वजीरपुर लॉरेंस रोड औद्योगिक एरिया से 27 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है.


12 घंटे से अधिक समय तक कराई जा रही  मजदूरी
जानकारी के मुताबिक वजीरपुर लॉरेंस रोड औद्योगिक एरिया से छुड़ाए गए 27 बच्चों में 3 लड़कियां और 24 लड़के शामिल हैं. जिनकी उम्र 10 साल से 17 साल के बीच हैय सभी बच्चे नाबालिग हैं. बता दें कि वजीरपुर लॉरेंस रोड के औद्योगिक एरिया में बर्फ बनाने वाली, डाई करने वाली, स्टील पॉलिश वाली, कार फिल्टर फैक्ट्री समेत कई अन्य फैक्ट्री है जो चलाई जा रही है. इन फैक्ट्रियों में यह नाबालिग बच्चे काम कर रहे थे. इन बच्चों से बेहद ही खतरनाक परिस्थितियों में बाल मजदूरी कराई जा रही थी. जिसके लिए 12-12 घंटे से अधिक इनसे मजदूरी करवाई जाती थी.


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सहयोग केयर ने दी जानकारी
सहयोग केयर की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक फैक्ट्रियों में इन बच्चों से 12 घंटे से अधिक मजदूरी करवाई जाने के बाद केवल 50 से 100 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दी जाती थी. मासूमों को सुबह से लेकर शाम तक झुक कर काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. जिसके कारण उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा था. सहयोग के टीम को इस बात की जानकारी मिली कि इस इलाके में बच्चों से बाल मजदूरी करके जा रही है जिसके बाद स्थानीय एसडीएम सरस्वती विहार, चंद्रशेखर के नेतृत्व में श्रम विभाग से सोनिया ठाकरान, सहयोग केयर से शेखर महाजन, ज्योति राठी और दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंची और सभी बच्चों को बाल मजदूरी पर छुड़ाया गया.


प्रशासन ने लोगों से की अपील
प्रशासन ने बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए आम लोगों से अपील की है कि वह जागरूक हो और अपने आस-पास यदि नाबालिग बच्चों को काम करते हुए देखते हैं तो प्रशासन और पुलिस को तुरंत इसकी खबर दें. जिससे कि बच्चों के बर्बाद होते बचपन को बचाया जा सके. इसके साथ ही सहयोग केयर एनजीओ जो कि #childlabourfreeindia मुहिम चला रहा है और इसी कड़ी में अलग-अलग इलाकों में छापेमारी करते हुए बच्चों को बाल मजदूरी से बचाया जा रहा है.


बाल मजदूरी है शारीरिक और मानेसिक विकास के लिए हानिकारक
सहयोग केयर का कहना है कि बाल श्रम जो अक्सर ऐसे कामों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो बच्चों को उनके बचपन और उनके समर्थक गरिमा से दूर कर देता है. यह शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है. छोटे बच्चों से मजदूरी कराना जैसे बाल श्रम या बाल मजदूरी कहा जाता है. बच्चों की उम्र काम कैसा है कितने घंटे काम कराया जा रहा है. बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा. यह सोचे बिना औद्योगिक क्षेत्रों में बच्चों से काम कराया जाता है. जो बेहद ही निंदनीय और निराशाजनक है जो लोग बच्चों को काम पर रखते हैं. वह उनके भविष्य की चिंता किए बिना उन्हें काम पर रख लेते हैं और उनका भविष्य खराब कर देते हैं.


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