दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों को इकोनॉमिकली पुअर कैटेगरी के स्टूडेंट्स को अपने स्कूल में एडमिशन देना होता है. इनका एक तय प्रतिशत इन स्कूलों में एडमिशन पाता है, ऐसा सरकार का नियम है. ताजा जानकारी के अनुसार इस बार के एकेडमिक सेशन 2021-22 में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में तय प्रतिशत से बहुत कम एडमिशन हुए. ये संख्या हाल के वर्षों को देखते हुए सबसे कम है. इस साल दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी की करीब 50,000 सीटें खाली रह गई हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल केवल 21,699 छात्रों ने इस श्रेणी में नर्सरी, केजी और क्लास वन में एडमिशन लिया. विशेषज्ञों की मानें तो इस साल ईडब्ल्यूएस कैटेगरी की करीब पचास हजार सीटें खाली रह गईं.
इस साल से प्रक्रिया हुई थी ऑनलाइन –
साल 2016-17 से एडमिशन लेने की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया था. तब से लेकर आज तक इस कैटेगरी में सबसे कम एडमिशन इस बार ही हुए हैं. साल 2015-16 में जब एडमिशन प्रक्रिया ऑफलाइन थी तब 31,571 एडमिशन इस श्रेणी में हुए थे. ये जानकारी डारयेक्ट्रेट ऑफ एजुकेशन ने एक एफिडेवेट में दिल्ली हाईकोर्ट में जमा दी.
साल 2021-22 में ऐसी थी स्थिति –
साल 2021-22 में डीओई ने ड्रॉ कराया था जो 33,000 सीटों के लिए था. इनमें से 21699 सीटों पर एडमिशन हुए थे. अगर कुल स्कूलों की बात करें तो 2058 प्राइवेट मान्य और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों ने ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में भाग लिया था. इनमें से 1515 डीओई द्वारा पहचाने गए थे जबकि 543 म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के नियंत्रण में थे.
इस साल डीओई को 1,26,061 एडमिशन के आवेदन प्राप्त हुए थे. ड्रॉ करीब 52,400 सीटों के लिए कराया गया था जिसमें 30,000 सीटों पर एडमिशन हुआ था.
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