Delhi School Cab Drivers Protest: दिल्ली के बड़ी तादाद में स्कूल कैब चालकों ने 1 अगस्त को हड़ताल करके विरोध जताया. अलग अलग जगहों पर कैब चालकों ने चौराहों पर खड़े होकर प्रदर्शन किया और अपनी मांगे रखीं. हालांकि इस बीच दोपहर तक उनके प्रतिनिधियों ने परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत से मुलाकात कि जिसमे उन्होंने सरकार से पुराने वाहनों को भी स्कूल कैब स्कीम के अंतर्गत रजिस्टर करने का अनुरोध किया. इसके बाद परिवहन मंत्री ने कैब चालकों को आश्वासन दिया है कि जितनी भी जायज मांगे होंगी उस पर परिवहन विभाग न्याय के हिसाब से कदम उठाएगा. परिवहन मंत्री के आश्वासन के बाद क्या चालकों ने हड़ताल तो खत्म कर दी और आज से ड्यूटी भी लौट आए लेकिन उनकी मांगे अभी भी वहीं है जिसकी वजह से उन्होंने हड़ताल की थी.


कैब ड्राइवरो ने क्यों किया हड़ताल?


दिल्ली के एक निजी स्कूल में कैब वाले विक्की ने  बताया कि दुनिया  भर में हर इंसान ने कोरोना काल में कुछ ना कुछ नुकसान झेला ही है, ऐसा ही नुकसान कैब चालकों को भी हुआ है. 26 महीने तक स्कूल बंद थे इस वजह से कैब चालक भी घर में बैठने को ही मजबूर थे. सरकार ने इस बीच कुछ कैब चालकों को 2 बार 5 हजार रुपये की मदद दी. ऐसे में जब इस साल जुलाई से स्कूल खुलना शुरू हुए हैं तो परिवहन विभाग कैब चालकों के खिलाफ अभियान चला कर उनके कैब जब्त कर रहा है.


विक्की बताते हैं कि परिवहन विभाग का कहना है कि उनकी स्कूल कैब प्राइवेट है और स्कूल कैब चालक इसे अवैध तरीके से चला रहे हैं इसलिए उनका चालान किया जा रहा है. एक बार में उनसे 10 हजार से 25 हजार तक का चालान किया जा रहा है जो उनके लिए देना काफी मुश्किल है क्योंकि बीते 26 महीने से उन्होंने कर्जा लेकर अपना घर परिवार संभाला है ऐसे में वो लोग अब इतने पैसे एक साथ नहीं दे सकते है.


2007 वाली नीति को करना चाहिए लागू


दिल्ली के दूसरे कैब चालक मनोज ने बताया कि पिछले 5 साल में कैब चालकों को दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग ने कमर्शियल स्कूल कैब नहीं खरीदने दिया है. इससे पहले भी कैब चालकों ने परिवहन मंत्री को स्कूल कैब को कमर्शियल स्कूल कैब में बदलने वाली 2007 की नीति को लागू करने के लिए पत्र लिखा था इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहा था और सरकार ने भी इसपर अपनी सहमति दे दी थी लेकिन इससे पहले ही परिवहन विभाग कैब चालकों का चालान करने लगा है. 


कैब ही है रोजी रोटी का सहारा


कैब चालक मनीष ने बताया ये स्कूल कैब पिछले 2 साल से हमारे घरों में रखी है इसमें से कई लोगों की कैब खराब भी हुई है. इसके बाद भी कमज़ोर आर्थिक हालत में जब वो लोग कैब चला रहे है तो परिवहन विभाग उनके ऊपर चालान कर रहा है या कैब को सीज कर रहा है. कैब वापिस करने के एक बार बार में 25 हजार रुपये लिए जा रहे है. ऐसे में कैब चालक सरकार से अनुरोध करते है कि कैब चालकों को थोड़ा समय दिया जाए और तब तक परिवहन विभाग के चालान वाले अभियान को बंद कर दिया जाए और उनके प्राइवेट स्कूल कैब को कमर्शियल में बदलने के प्रोसेस को शुरू कर दिया जाए.


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मंत्री ने दिया कार्रवाई का भरोसा


स्कूल कैब ट्रांसपोर्ट यूनियन के अध्यक्ष रामचंद्र पहल ने बताया कि उन्होंने और यूनियन के प्रतिनिधियों ने परिवहन मंत्री कैलाश चंद गहलोत से बात की. दिल्ली सचिवालय में हुई यह बातचीत 2 घंटे तक चली जिसमें कई पहलुओं पर बात की गई है,जिसमे मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वो कैब चालकों को मांगो पर उचित कार्रवाई करेंगे. 


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