Delhi Schools: दिल्ली में स्कूल न खुलने से निराश हैं अभिभावकों का एक बड़ा समूह, वहीं कुछ ने किया फैसले का समर्थन- सर्वे
Delhi Schools Closed, Parents Disappointed: डीडीएमए की बैठक में दिल्ली के स्कूलों को फिलहाल न खोले जाने के फैसले से अभिभावकों का एक बड़ा समूह निराश है. सर्वे में हुए और भी खुलासे.
कोरोना के मामलों में कमी आने से अब देश के कई राज्य स्कूल-कॉलेज खोलने का फैसला कर रहे हैं. कई राज्यों ने एक फरवरी से स्कूल खोलने का आदेश भी पारित कर दिया है. इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में अभी भी स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया गया है. पिछले दिनों हुई डीडीएमए की बैठक में अभी दिल्ली के स्कूल न खोलने की बात कही गई. डीडीएमए के इस फैसले से अभिभावकों के एक बड़े समूह के साथ ही कई स्कूलों के प्रिंसिपल, शिक्षक आदि काफी निराश और नाराज हैं.
दरअसल दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसौदिया के ये संकेत देने के बाद कि दिल्ली सरकार भी चाहती है कि स्कूल खोले जाएं लोगों को स्कूल शुरू होने की काफी उम्मीद थी लेकिन डीडीएमए की बैठक में इसके उलट फैसला आया.
पैरेंट्स एसोसिएशन हुआ निराश –
दिल्ली सरकार और दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के बीच हुई मीटिंग के बाद स्कूल न खोलने का फैसला आने से ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन काफी नाराज है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एआईपीए के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि ये यह एक बहुत ही दुखद कदम है. निर्णय लेने वालों के पास न तो दिल है और न ही दिमाग है क्योंकि लंबे समय तक स्कूल बंद रहने केवल से शिक्षा में असमानता और वर्ग विभाजन को बढ़ावा मिलेगा. एसोसिएशन का मानना है कि स्कूल बंद रखना अब समस्या का समाधान नहीं है.
इस नुकसान की कोई क्षतिपूर्ति नहीं है –
एआईपीए के प्रेसिडेंट ने आगे कहा कि, ‘छात्रों के अध्ययन और बचपन ने पहले ही बहुत कुछ झेला है जो अपूरणीय है. स्कूलों को बंद करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इससे रोजगार कम हुआ है और लोगों को भूख का सामना करना पड़ा है. इतने सारे लोग घर पर बेकार बैठे हैं और स्कूलों के फिर से खुलने का इंतजार कर रहे हैं.’
सर्वे में हुआ खुलासा –
दिल्ली के स्कूल खोले जाने को लेकर पैरेंट्स के मिक्स रिएक्शन हैं. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, दिल्ली के 74 प्रतिशत अभिभावक इस समय स्कूलों को फिर से खोलने का समर्थन नहीं करते हैं. जबकि 66 प्रतिशत पैरेंट्स का मानना है कि टेस्ट पॉजिटिविटी रेट (टीपीआर) 2 प्रतिशत या उससे कम हो जाने के बाद स्कूलों को फिर से खोल दिया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें: