Delhi News: दिल्ली सरकार ने बीते महीने व्यापारियों को सीलिंग से राहत देते हुए उनके हित के लिए एक नीति बना कर सील की गई दुकानों को खोलने का फैसला किया था. जिससे लंबे समय से सीलिंग की समस्या से परेशान व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कुराहट लौट आयी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की निगरानी वाली कमेटी द्वारा फिर से सीलिंग अभियान चलाने की अनुमति की मांग को लेकर राजधानी में फिर से व्यापारियों को सीलिंग की कार्रवाई शुरू होने का डर सता रहा है.



व्यापारिक संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली कमेटी ने फिर से सीलिंग अभियान चलाने की अनुमति मांगी है. अगर कोर्ट स्वीकृति देता है तो राजधानी में फिर से सीलिंग की कार्रवाई शुरू हो सकती है. जिसका व्यापारी संगठन कड़ा विरोध कर रहे हैं. वहीं, कुछ संगठनों ने कहा कि पहले यह बताया जाए कि एमसीडी और अन्य निकाय ने बाजार से कितना राजस्व वसूली किया है और कितना बाजार पर खर्च किया है? 

'पूरी कवायद व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने के लिए'
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) का कहना है कि तीन सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय में रिपोर्ट दायर की है. रिपोर्ट में जिन संपत्ति को उनके निर्देश पर बीते कुछ वर्षो में सील किया गया है, उनकी मौके पर जांच करने की मंजूरी देने की मांग की है. इसके साथ ही आवासीय और व्यावसायिक इलाकों में नए अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देने की मांग की है. दोबारा से कमेटी को कार्रवाई करने की अनुमति दी जाती है तो इससे बड़ा नुकसान होगा. सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि यह पूरी कवायद व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने के लिए है.

बाजार पर खर्च ब्योरा देने की मांग
कमला नगर मिनी मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रधान नितिन गुप्ता का कहना है कि सिस्टम में बैठे लोगों का ध्यान सिर्फ सीलिंग करने और व्यापारियों को नोटिस थमाने पर है. इससे पहले उसको यह बताना चाहिए कि किस बाजार से कितना कर वसूला गया और कितनी राशि बाजार पर खर्च की गई. एक्ट में व्यवस्था है कि जिस बाजार से जितना कर वसूला जाएगा वो उसी बाजार में पार्किंग, पेयजल, शौचालय, स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाओं को विकसित करने पर खर्च किया जाएगा, लेकिन यहां पर कोई बताने को तैयार नहीं है.

नियमों के तहत नहीं हुई कार्रवाई
फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश यादव ने आरोप लगाया कि दिल्ली में कभी भी सीलिंग की कार्रवाई नियमों के दायरे में नहीं की गई. जिन संपतियों पर कन्वर्जन चार्ज का मामला नहीं बनता था, उन्हें कन्वर्जन चार्ज के तौर पर सील कर दिया गया. सदर बाजार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि, मास्टर प्लान के तहत जिस क्षेत्र के भवनों में 70 फीसदी से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां हो रही है, उसे व्यावसायिक क्षेत्र माना जाएगा. सदर बाजार में 95 फीसदी क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधि हो रही है, लेकिन उसे आवासीय मानकर सीलिंग की जा रही है.


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