Delhi Latest News: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने सोमवार (17 मार्च) को सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों में जाकर ज्ञापन देने और उनसे समर्थन मांगने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. उनकी यह यात्रा देश में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और गाय को राष्ट्रीय माता घोषित करने की मांग को लेकर थी.


गौ रक्षा की पुरानी मांग
भारत में गाय को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से पूजनीय माना जाता है. हिंदू धर्म में इसे मां का स्थान दिया गया है और कई राज्य सरकारें गौ हत्या पर प्रतिबंध लगा चुकी हैं. कई हिंदू संगठन और संत लंबे समय से देशभर में गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.


स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पहले भी कई बार इस मुद्दे पर आवाज उठा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि अगर सरकारें वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर धर्म और संस्कृति की रक्षा करें, तो गाय की हत्या पूरी तरह से बंद हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि गाय भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए इनके बचाव की आवश्यकता है.


प्रशासन ने क्यों रोका?
शंकराचार्य प्रशासन से अनुमति लेकर ज्ञापन देने निकले थे, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें रोका गया. हालांकि, तीर्थानंद ब्रह्मचारी और उनके समर्थकों को CPI दफ्तर तक जाने दिया गया. शंकराचार्य के समर्थकों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई और इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया.


अब देखना यह होगा कि अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं. देश में गौ रक्षा को लेकर समय-समय पर विभिन्न संगठनों और संतों द्वारा आवाज उठाई जाती रही है, लेकिन अब तक कोई केंद्रीय स्तर पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया है.



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