दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय (DSEU) में उद्योग जगत का सहयोग लेने के लिए विश्वविद्यालय ने पहले उद्योग दिवस का आयोजन किया. अगस्त 2020 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने युवाओं को कौशल प्रदान करने और उन्हें उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक नौकरी के लिए तैयार किया जाता है. इसमें उच्च शिक्षा प्रणाली में उद्योग जगत की जरूरतों को शामिल करने पर अत्यधिक जोर दिया जाता है.
विश्वविद्यालय किस बात पर दे रहा है जोर
विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में जेएलएल,मारुति सुजुकी, एचडीएफसी, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, बैंक ऑफ बड़ौदा, मैकमिलन, मेट्रोपोलिस जैसे 80 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर प्रो.रिहान खान सूरी ने कहा कि यह दिन यहां मौजूद हमारे उद्योग जगह के भागीदारों के कारण ही संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि उनके विश्वविद्यालय में छात्रों को सिर्फ डिग्री ही नहीं दी जाएगी, बल्की उन्हें नौकरी के लिए तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे उद्योग भागीदार डीएसईयू को एक ऐसी शिक्षा प्रदान करने में सहयोग दे रहे हैं जिसमें छात्र अप्रेंटिसशिप और इंटर्नशिप के जरिए वास्तविक दुनिया के अनुभव ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे छात्र अनुभव प्राप्त करने के लिए अपनी डिग्री की प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं, उद्योग जगत की सहायता से वो पहले से ही वास्तविक कार्य वातावरण में काम सीख रहे हैं.
कुलपति ने कंपनियों से क्या कहा
विश्वविद्यालय की कुलपित प्रो.निहारिका वोहरा ने कहा कि अगर उद्योग जगत प्रतिभा और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी की शिकायत करता रहता है तो अकादमिक एवं उद्योग जगत दोनों को यह जिम्मेदारी स्वीकार करने और यह देखने की जरूरत है कि हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं. यह विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करें कि छात्रों को वह पढ़ाया जा रहा है जो 21वीं सदी के लिए प्रासंगिक है. मैं छात्रों को उद्योग जगत के लोगों के साथ जोड़ने और उनकी जरूरतों के मुताबिक सीखने का अवसर प्रदान करने से बेहतर तरीके के बारे में नहीं सोच सकती हूं.
डॉक्टर नीता प्रधान दास ने दिल्ली के युवाओं के लिए कौशल को आकांक्षी बनाने में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए सभी पैनलिस्टस,उद्योग जगत के सदस्यों को धन्यवाद दिया.इस विश्वविद्यालय ने पिछले दो साल में 70 से अधिक कंपनियों के साथ भागीदारी की है. इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि विश्वविद्यालय का प्रत्येक कार्यक्रम उद्योग से जुड़ा हो और उद्योग जगत और शिक्षाविदों के विशेषज्ञों के सहयोग से तैयार किया गया हो.
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