Sniffer Dogs To Be Deployed In Delhi Jails: दिल्ली कारागार विभाग प्रदेश की जेलों को अब और अधिक सुरक्षित करने जा रहा है. विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली कारागार विभाग पहली बार जांच के लिए और जेलों में अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में एक डॉग स्क्वायड को शामिल करने जा रहा है. कुत्तों को ड्रग्स, मोबाइल फोन, हथियार और सिम कार्ड का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, जिनकी अक्सर जेल के अंदर से कैदियों द्वारा तस्करी की जाती है. विभाग के अधिकारी अपनी डॉग स्क्वायड को बढ़ाने और उन्हें सीआरपीएफ, आईटीबीपी, बीएसएफ और दिल्ली पुलिस केंद्रों में पेशेवर प्रशिक्षण देने की योजना बना रहे हैं.
4 कुत्तों के साथ होगी डॉग स्क्वायड की शुरुआत
दिल्ली जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा कि वे 4 कुत्तों के साथ डॉग स्क्वायड शुरू करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम पिल्लों की खरीद करेंगे और उन्हें पूरी ट्रेनिंग देंगे. कुत्तों के लिए दो हैंडलर को भी रखा जाएगा. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कुत्तों को जेल में तैनात किया जाएगा. बता दें कि दिल्ली कारागार विभाग के अंतर्गत तीन जेलें तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल आती हैं. हाल ही के दिनों में देखा गया है कि कैदियों ने जेल के अंदर ड्रग्स, सिम कार्ड, मोबाइल फोन व अन्य अवैध वस्तु हासिल करने में कामयाबी हासिल की है. मिसाल के तौर पर गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके गिरोह के सदस्य जेल के अंदर से ही अवैध फोन और सिम कार्ड का इस्तेमाल कर जबरन वसूली का रैकेट चलाते हैं. वहीं जेल के अंदर कई अन्य कैदी भोजन और कपड़ों में छिपाकर ड्रग्स और सिमकार्ड का उपयोग करते हैं.
आखिर कैदियों तक कैसे पहुंचती हैं नशीली दवाएं और सिम कार्ड
तिहाड़ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम नियमित तौर पर तिहाड़ में निरीक्षण करते हैं, इसके बावजूद कैदी ड्रग्स और सिम कार्ड की तस्करी करने में कामयाब हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें लगता कि वे ड्रग्स और सिमकार्ड को ऐसी जगह पर छिपाते हैं जो हमारी नजरों से बच जाते हैं या फिर वो जेल में तैनात गार्डों की मदद से ऐसा कर पाने में संभव हो रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि हमारे पास स्कैनर और चेकर भी हैं, लेकिन वे कपड़ों या भोजन में छिपी वस्तुओं का पता लगाने में विफल हो सकते हैं. इस सब चीजों से बचने के लिए अब कुत्तों का सहारा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब जेलों में ऐसे खोजी कुत्ते तैनात किए जाएंगे जो छिपी हुई वस्तुओं और ड्रग्स का आसानी से पता लगाने में सक्षम हैं.
जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर और गोल्डन रिट्रीवर्स जैसी नस्ल को किया जाएगा तैयार
उन्होंने आगे कहा कि शुरुआत में 4 कुत्तों को तैनात किया जाएगा और यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो और प्रशिक्षित कुत्तों और हेंडलरों की तैनाती की जाएगी. उन्होंने कहा कि कुत्तों को प्रमुख तौर पर तिहाड़ जेल में तैनात किया जाएगा जहां 17,000 से ज्यादा कैदी हैं. उन्होंने कहा कि विभाग जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर और गोल्डन रिट्रीवर्स जैसी नस्ल को प्रशिक्षण देगा. उन्होंने कहा कि महिला सेल में कुत्तों की तैनाती नहीं की जाएगी क्योंकि वहा कम अपराधी हैं. अधिकारी ने कहा कि कुत्तों और उनके संचालकों के लिए जेलों में ही क्वार्टर बनाए जाएंगे.
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