Delhi News: जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में संवैधानिक लोगों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने और नारे लगाने की अनुमति नहीं है. आदेश का उल्लंघन करने वाले छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी. यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से 29 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन का छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है.
उन्होंने नोटिफिकेशन को छात्र विरोधी बताया. नोटिफिकेशन के मुताबिक संज्ञान में आया है कि कुछ छात्र बिना अनुमति या सूचना प्रधानमंत्री और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ नारे लगा रहे हैं.
छात्रों को सलाह दी गई थी कि बिना अनुमति यूनिवर्सिटी परिसर के किसी भी हिस्से में बैठक, जमावड़ा, धरना आयोजित नहीं करेंगे. संवैधानिक लोगों के खिलाफ धरना- प्रदर्शन करने और नारे लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. आदेश का उल्लंघन करने पर छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही होगी. छात्रों ने कहा कि अहम मुद्दों को उठाकर जिम्मेदार लोगों से सवाल पूछा जाता है. थर्ड ईयर की छात्रा सखी ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को रीढ की हड्डी मजबूत करनी चाहिए.
नोटिफिकेशन पर भड़के जामिया के छात्र
उन्होंने कहा कि अगर भारत में लोकतंत्र है तो सवाल भी पूछे जायेंगे. प्रधानमंत्री की आलोचना भी की जायेगी. युवाओं की आजाद सोच क्यों नहीं हो सकती. जामिया की तहजीब को बर्बादी की तरफ ले जाया जा रहा है. छात्र संगठन आइसा से जुड़े सौरभ ने बताया कि 29 अगस्त 2022 को भी ऐसा ही नोटिफिकेशन आया था. धरना प्रदर्शन में शामिल छात्रों को नोटिस आने लगे. उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री संविधान से ऊपर हैं.
यूनिवर्सिटी प्रशासन से पूछ लिये ये सवाल
उन्होंने कहा कि नोटिफिकिशन आजादी को दबाने का एजेंडा है. छात्र संगठन हॉस्टल, मेस, फीस का मुद्दा उठाते हैं. संभल का मुद्दा उठाना क्या गलत है. दूसरे छात्र शाहजहां ने कहा कि गलत के खिलाफ आवाज उठाते आये हैं और आगे भी उठायेंगे. संविधान के खिलाफ नारेबाजी नहीं होती है. भारत में अगर लोकतंत्र है तो सवाल पूछे जा सकते हैं. यूनिवर्सिटी के नोटिफिकेशन पर छात्रों में नाराजगी और गुस्सा है. छात्रों का कहना है कि देश के अलग-अलग मुद्दों को भी उठाते हैं. उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन में असंवैधानिक नारे नहीं लगते हैं.
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