Delhi News Today: नीट-यूजी परीक्षा में कथित गड़बड़ी और कदाचार के बाद छात्र दोबारा एग्जाम की कर रहे हैं. एनटीए को भंग करने और दोबारा एग्जाम कराने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर छात्र-संघ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. इस विरोध के बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.


जिसके बाद प्रदर्शन कर रहे छात्रों को ऐसा लग रहा है कि मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को न्याय मिलेगा और बीते 5 मई को हुए नीट-यूजी की परीक्षा को रद्द करके फिर से इसे आयोजित कराई जाएगी. 


'40 लाख छात्रों के लिए न्याय की मांग'
इस मामले में अब कल सोमवार (7 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले से पहले आइसा ने आज जंतर-मंतर पर आयोजित जनसभा में बीते कुछ हफ्तों से एनटीए के हाथों पीड़ित 40 लाख छात्रों के लिए न्याय की मांग की.


दोबारा नीट परीक्षा कराने की मांग
छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि एनटीए के पूर्ण संरचनात्मक भ्रष्टाचार और भ्रष्ट निकाय में शिक्षा मंत्री की मिलीभगत को भी ध्यान में रख कर फैसला दिया जाए, इसके अलावा छात्रों के भविष्य और परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए नीट परीक्षा दोबारा कराई जाए. 


इस दौरान जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय ने कहा, "हमें उम्मीद है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एनटीए की परीक्षा प्रक्रिया के आपराधिक ढांचे को ध्यान में रखेगा और शिक्षा मंत्री से वास्तविक जिम्मेदारी की मांग करेगा."


'एनटीए पर कार्रवाई की आवश्यकता'
आइसा दिल्ली के अध्यक्ष अभिज्ञान ने कहा, "एनटीए और शिक्षा मंत्री ने सारी विश्वसनीयता खो दी है. घोटाले का नेटवर्क शीर्ष पर शुरू होता है और इसे इस रूप में पहचाना जाना चाहिए." 


उन्होंने कहा, "संगठित अपराध संचालन यानी एनटीए के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. हमें विश्वास है कि माननीय पीठ उन लोगों पर कठोर कार्रवाई करेगी, जिन्होंने 40 लाख लोगों के भविष्य का बलिदान दिया."


सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में की ये मांग
जनसभा के दौरान छात्रों ने सर्वोच्च न्यायालय को लिखे एक खुले पत्र के माध्यम से अपनी मांगो को रखा. जिसमें एनटीए को खत्म करना, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफा, 2024 में फिर से नीट आयोजित करने और परीक्षाओं के केंद्रीकरण को समाप्त करना शामिल हैं.


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