नाबालिग लड़की के साथ हुए रेप के बाद पैदा हुये बच्चे की डीएनए जांच का आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह कहते हुए इंकार कर दिया कि मामले में बच्चे के पिता की पहचान अप्रासंगिक है. जज डी वाई चंद्रचूड़ और जज एस एस बोपन्ना की बेंच ने रेप के आरोपी मोहम्मद सलीम की याचिका खारिज कर दी. सलीम के खिलाफ सुनवाई किशोर कोर्ट में चल रही है. किशोर कोर्ट ने भी डीएनए जांच के आग्रह को ठुकरा दिया है.


सुलतानपुर सत्र कोर्ट के फैसले को पलटा गया


बेंच ने कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (रेप) के अपराध अंतर्गत पिता की पहचान प्रासंगिक नहीं है. अगर वह बच्चे का पिता नहीं होगा तो क्या तो क्या वह रेप के आरोप से मुक्त हो जायेगा. हम बिना विचार किए बच्चे की डीएनए जांच की अनुमति नहीं दे रहे.’’ बेंच ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.’ आरोपी की ओर से पेश हुये वकील राम भदौरिया ने कहा कि सलीम ने 25 जून 2021 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने सुलतानपुर सत्र कोर्ट के फैसले को पलट दिया था. सुलतानपुर सत्र कोर्ट ने बच्चे की डीएनए जांच कराने का आदेश दिया था.


पीड़िता और आरोपी एक ही गांव के हैं


अधिवक्ता रोबिन खोखर और निशांत सिंगला के माध्यम से दायर याचिका में आरोपी ने कहा कि उस पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह बच्चे का पिता है. याचिका में कहा गया है कि आरोप है कि प्राथमिकी दर्ज होने की तारीख से सात महीने पहले किशोर आरोपी ने नाबालिग लड़की के साथ उसके परिवार वालों के सामने ही दुष्कर्म किया था. इसमें कहा गया है, ‘‘पीड़िता और आरोपी, दोनों का परिवार एक ही गांव में रहता है और एक दूसरे का पड़ोसी है.


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