Delhi News: अब दिल्ली के किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है. पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी की अगुवाई में 'गांव देहात बचाओ यात्रा' आज पोचनपुर गांव पहुंची. उन्होंने ऐलान किया कि 22 दिसंबर को मंगोलपुर कला गांव में महापंचायत बुलाई गई है. महापंचायत में दिल्ली के सभी ग्रामीण एकजुट होकर आगे की रणनीति बनाएंगे. चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि अभी तक गांव देहात बचाओ यात्रा 300 से ज़्यादा गांव का सफर कर चुकी है.


गांव देहात बचाओ यात्रा को संबोधित करते सोलंकी ने बताया कि दिल्ली के ग्रामीण चुनाव बहिष्कार का फैसला ले चुके हैं. सरकारों के कानों पर अभी तक जूं नहीं रेंग रही है. अब आगामी 22 दिसंबर को सभी ग्रामीण एकजुट होकर आगे की रणनीति महापंचायत में बनाएंगे. सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि महापंचायत में कठोर निर्णय भी लिए जाएंगे. दिल्ली के 360 गांव की हालात बद से बदतर होती जा रही है. ग्रामीणों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. अब और ग्रामीण नहीं सहन करेंगे. सरकारों को मुंह तोड़ जवाब आने वाले चुनाव में दिया जाएगा.


22 दिसंबर को महापंचायत में बनेगी रणनीति


पालम 360 खाप के प्रधान ने कहा कि आंदोलन की रूप रेखा 22 दिसंबर को होने वाली महापंचायत में बनायी जाएगी. जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल या फिर प्रधानमंत्री आवास का घेराव भी किया जाएगा. चौधरी सोलंकी ने आगे कहा कि अभी तक आंदोलन शांतिपूर्ण रहा है. सरकारें दिल्ली के ग्रामीणों को कमजर समझने की भूल कर रही हैं. गांव का अस्तित्व खत्म करने का प्रयास जारी है.


वर्षों से लंबित समस्याओं का अभी तक समाधान नहीं किया गया. अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आगामी चुनाव से पहले गांवों की समस्याओं का समाधान चाहिए. वरना आंदोलन उग्र रूप भी ले सकता है.


किसान आंदोलन के बीच सुरेंद्र सोलंकी का ऐलान


चौधरी सुरेन्द्र सोलंकी ने बताया कि महापंचायत में 360 गांवों के ग्रामीण शामिल होंगे. आवश्यकता महसूस होने पर उत्तर भारत की सभी खाप और किसान संगठनों को भी बुलाया जा सकता है. 22 दिसंबर से पहले समस्याओं का समाधान नहीं होने पर देश भर से किसानों को महापंचायत में बुलाया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन कौड़ियों के भाव में ली जा रही है. गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. टैक्स के नाम पर अत्याचार ब्रिटिश काल में भी नहीं हुआ था. केंद्र या दिल्ली की सरकारों ने आंखें मूंद ली हैं. इसलिए कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा. 


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