(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi Teachers Training: फिनलैंड में शिक्षकों की ट्रेनिंग के लिए मनीष सिसोदिया ने LG को फिर लिखी चिट्ठी, इस बार कह दी ये बात
Delhi Teachers Training: मनीष सिसोदिया इससे पहले भी इस प्रस्ताव को लेकर एलजी को चिट्ठी लिख चुके हैं. दिल्ली एलजी ने दिल्ली सरकार से इस कार्यक्रम की कॉस्ट बेनिफिट का विश्लेषण करने के लिए कहा था.
Manish Sisodia Letter to LG: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने गुरुवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना (VK Kumar Saxena) को एक और पत्र लिखकर दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग (Teachers Training) के लिए फिनलैंड भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अनुरोध किया. दिल्ली के डिप्टी सीएम के अलावा मनीष सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी है. उन्होंने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए कहा कि उपराज्यपाल 15 दिन से अधिक ऐसे प्रस्तावों को रोक नहीं सकते.
15 दिन से ज्यादा रोककर नहीं रख सकते प्रस्ताव- सिसोदिया
डिप्टी सीएम ने कहा कि एलजी एक महीने से टीचरों की ट्रेनिंग के प्रस्ताव को रोक कर रखे हुए हैं. राज्यपाल किसी भी फाइल को 15 दिनों से ज्यादा रोककर नहीं रख सकते. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 20 जनवरी को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें उन्होंने सरकारी शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, हालांकि इस पर राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार को पहले इस कार्यक्रम की कॉस्ट बेनिफिनट (लागत-लाभ) का विश्लेषण करने को कहा था.
'चुनी हुई सरकार के फैसले को रोकना संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ'
सिसोदिया इससे पहले भी दो बार एलजी को इस संबंध में चिट्ठी लिख चुके हैं. सिसोदिया का कहना है कि चुनी हुई सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद भी इस प्रस्ताव को रोका जा रहा है. इससे पहली लिखी चिट्ठी में मनीष सिसोदिया ने कहा था कि सरकार ने लागत-लाभ समेत इस प्रस्ताव के सभी पहलुओं का विश्लेषण किया है और पाया है कि शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने के लिए यह ट्रेनिंग प्रोग्राम बेहद आवश्यक है.
डिप्टी सीएम ने आगे लिखा था कि अगर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने अपने शिक्षकों को विदेश भेजने का फैसला किया है, तो एलजी बार-बार हल्की-फुल्की आपत्तियां उठाकर इसे कैसे रोक सकते हैं? यह लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है कि एक अनिर्वाचित व्यक्ति लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के लगभग हर फैसले को बदल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे देश का अभिजात्य वर्ग सामंती मानसिकता का शिकार है.
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