Delhi Property Circle Rate: देश की राजधानी में प्रॉपर्टी के सर्किल रेट (Circle Rate) में जल्द ही बदलाव देखने को मिल सकता है. वही कुछ पॉश कॉलोनियों में सर्किल रेट में 30 फीसद तक इजाफा हो सकता है, जबकि नए सर्किल रेट के निर्धारण से ऐसे इलाके जहां मौजूदा रेट बाजार रेट से अधिक थीं, उनमें गिरावट दर्ज किया जा सकता है.
सर्किल रेट में बदलाव का प्रस्ताव राजस्व मंत्री को भेजा जा चुका है, इसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जा सकता है. दिल्ली सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि, "सर्किल रेट में यह बदलाव सभी आवासीय कॉलोनियों को प्रभावित करेगा, जो हालिया दिनों में आठ श्रेणी बंटे हैं." उन्होंने यह भी कहा अधिकांश कॉलोनियों में बदलाव मामूली हो सकते हैं.
दिल्ली में आवासीय, कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, जमीन और अचल संपत्तियों के मूल्यांकन के लिए, न्यूनतम सर्किल रेट सभी मौजूदा श्रेणियों में बदलाव पिछले बार 2014 में किया गया था. वहीं सरकार ने भी कृषि योग्य भूमि पर सर्किल रेट में बदलाव के लिए 2018 से ही तैयारी शुरू कर दी थी, जिसके लिए समिति ने प्रस्ताव भी तैयार कर लिया था, इस प्रस्ताव को 2020 में कैबिनेट के सामने पेश किया जाना था. हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना ने इस योजना को विफल कर दिया.
दिल्ली के डिवीज़नल कमिश्नर ने जून 2021 कई स्टेक होल्डर से बात कर अधिकरियों को एक प्लान प्रस्तावित करने में सक्षम बनाने के लिए में चार वर्किंग ग्रुप का गठन किया. संबंधित अधिकारियों ने बताया कि, दिल्ली में बुनियादी ढांचों के विकास, कमर्शियल एक्टिविटी और पब्लिक ट्रांसपोट के साथ दैनिंक जीवन में सुधार के कारण पिछले सात सालों में जमीनों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. इस लिए शहर में बाजार मूल्य और मौजूदा सर्किल रेट के अंतर को दूर करने की फौरन जरुरत है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, अधकारियों का कहना है कि कई कॉलोनियों में सर्किल रेट में सुधार की जरुरत है. विशेषरूप से A श्रेणी और B श्रेणी के कॉलोनियों में, जहां सर्किल रेट मौजूदा बाजार रेट से अधिक है. स्टेक होल्डर से मिली शिकायतों की जांच के गठित वर्किंग ग्रुप को ऐसे कई क्षेत्रों से शिकायत मिली है.
राजस्व विभाग ने शुरु में सर्किल रेट को बाजार रेट के बराबर लाने के लिए आठ श्रेणियों को उप श्रेणियों पर बांटने पर विकाःर किया जा रहा है. वहीं कई लोगों का कहना है कि ये संभव नहीं है. एक अधिकारी ने इस संबंध में बताया कि, "नगरपालिका मुल्यांकन के समिति के जरिये यह श्रेणियां बनाई गई थी और राजस्व विभाग के पास इसमें बदलाव करने की शक्ति नहीं हो सकती है." संबंधित अधिकारी ने आगे कहा कि, "आखिरी फैसला संबंधित मंत्री और कैबिनेट के पास रहता है."
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