दिल्ली की तिहाड़ी झील का अब होगा कायाकल्प, आने वाले समय में यहां तैरती नजर आएंगी नाव
Tihari Lake: देश की राजधानी को भावी जल संकट से बचाने के लिए डीडीए और डीजेबी द्वारा जल संरक्षण को लेकर अनेक कदमों में से तिहाड़ी का उद्धार एक अहम प्रयास है.
Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में जल संकट और कम होता जल स्तर आम लोगों के लिए बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आया है. पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष अगर औसत से अधिक बारिश नहीं हुई तो दिल्ली में बेहद कम समय में एक गंभीर जल संकट देखने को मिल सकता है. यही वजह है कि राजधानी में दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जल संरक्षण को लेकर अनेक कदम उठाए जा रहे हैं.
भावी जल संकट से दिल्ली को बचाने के लिए पश्चिमी दिल्ली के हरी नगर स्थित तिहाड़ झील का कायाकल्प करने का निर्णय दिल्ली जल बोर्ड और डीडीए द्वारा लिया गया है. लगभग दशकों से सूखे पड़े इस झील को पुनर्जीवित करने के लिए संयुक्त रूप से दिल्ली जल बोर्ड और डीडीए द्वारा इसपर तेजी से काम किया जाएगा. स्थानीय लोगों के बीच यह झील तिहाड़ झील के रूप में लोकप्रिय है.
बहुत जल्द नौकायान कर सकेंगे लोग
दिल्ली जल बोर्ड के करीबी सूत्रों का कहना है कि सूखे मैदान में परिवर्तित हो चुके इस जगह पर फिर से विकसित करने के लिए तेजी से काम किया जाएगा. इसके अलावा, यहां पर आसपास के इलाकों का गंदा पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से भी छोड़ा जाएगा. संभवत: अगले साल तक यहां पर एक बार फिर से पानी से लबालब भरा एक झील को तैयार कर लिया जाएगा, जिसमें लोग नौकायान भी कर सकेंगे. तिहाड़ झील की मदद से जल स्तर को बढ़ावा देने, जल संरक्षण और एसटीपी प्लांट की मदद से दूषित पानी की समस्या को दूर करने का समाधान अब हो सकेगा. यह झील काफी समय से सूखी पड़ी होने के कारण एक समतल जमीन में परिवर्तित हो चुकी थी, लेकिन निश्चित तौर पर विभाग द्वारा अब इसकी तस्वीर बदलने से कई मायनों में आसपास क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा.
भूजल में सुधार को मिलेगा बढ़ावा
जल बोर्ड और डीडीए द्वारा तिहाड़ झील को पुनर्जीवित करने से आसपास के लोगों को काफी फायदा मिलेगा. लोग नौकायान के साथ-साथ यहां के जलस्तर में भी प्रभाव देखने को मिल सकता है. इसके अलावा यहां लगाए जाने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से भी लोग अपने इलाकों के गंदे पानी को निर्धारित जगह पर छोड़ सकेंगे. लगभग 1 साल के निर्धारित सीमा में इस झील को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया है.