दिल्ली में टूरिस्ट्स के लिए तैयार हुई एक और जगह, रेनोवेशन के बाद हस्तसाल मीनार भी जा सकेंगे आप, जानें क्या है खास
Delhi tourist Places: कुतुब मीनार की तरह दिखने वाले हस्तसाल मीनार का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में चरागाह के रुप में करवाया था. पांच मंजिला इमारत का अब सिर्फ आधा हिस्सा ही बचा है.
Delhi Hastsal Minar: राजधानी दिल्ली के वेस्ट में स्थित हस्तसाल मीनार (Hastsal Minar) को रेनोवेशन के बाद दोबार टूरिस्टों के लिए खोल दिया गया है. मुगलकाल के समय निर्मित कुतुब मीनार (Kutub Minar) की तरह दिखने वाली इस मीनार की दीवार के क्षतिग्रस्त होने के बाद इंटेक (Intake) नाम की संस्था को रेनोवेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वहीं इसके परिसर की सुरक्षा के सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किया गया है.
मुगल बादशाह शाहजहां के काल में निर्मित इस हस्तसाल मीनार की ऊंचाई 17 मीटर है. समय के साथ मीनार की दीवारें की अत्यंत जर्जर हो गई थीं, जिसे इंटेक नाम की संस्था ने पत्थरों, मिट्टी के लेप और विशेष केमिकल्स की मदद से रेनोवेट किया है. जिससे मीनार की चमक और खूबसूरती काफी हदतक वापस आ गई है. रेनोवेशन का काम पूरा होने के बाद इसके परिसर की नए सिरे से साफ सफाई की गई.
मीनार का परिसर स्थानीय लोगों का बना फेवरिट डेस्टिनेशन
हस्तसाल मीनार के परिसर को आम लोगों के लिए खोलने के बाद यह स्थानीय लोगों का फेवरिट हालीडे डेस्टिनेशन हो गया है. मूल रुप से यह मीनार 5 मंजिला थी, लेकिन प्रशासनिक बेरुखी और मौसम की मार के कारण इसका सिर्फ आधा हिस्सा ही बचा है. सभी ऐतिहासिक इमारतों की तरह हस्तसाल मीनार परिसर को भी सूर्योदय के समय खोला जाता है, जबकि सूर्यास्त के समय बंद कर दिया जाता है. स्थानीय लोगों और टूरिस्टों ने मांग की है कि यहां पर लाइट की व्यस्था की जाए, जिससे रात में भी इसे देख सकें.
शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में बनवाया था हस्तसाल के मीनार को
कुतुब मीनार की तरह दिखने वाले हस्तसाल की मीनार को 1650 में मुगल बादशाह शाहजहां ने शिकारगाह के रुप में बनवाया था. मीनार के 5 मंजिलों में से 3 मंजिल ही बची है. इस मीनार को बनाने के लिए लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. मीनार में ऊपर तक जाने के लिए एक पतली सीढ़ी बनी है. इस मीनार में एक सुरंग भी है, जो बरादरी से जुड़ती है, शाहजहां ने इस बरादरी का निर्माण मनोरंजन के लिए करवाया था.
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