Delhi News: गाड़ी की विंडो पर लगी काली फिल्म (टिंडेड ग्लास) को लेकर साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था. इसके तहत गाड़ी की पिछली सीट वाली विंडो और पीछे लगे ग्लास की पारदर्शिता कम से कम 70 प्रतिशत, जबकि आगे वाली विंडो पर लगे ग्लास की पारदर्शिता कम से कम 50 प्रतिशत होनी जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय चलती गाड़ियों में होने वाले अपराधों में कमी लाने के उद्देश्य से दिया था.


इसके बावजूद कई गाड़ी मालिक अपनी गाड़ियों में काला ग्लास लगवा लेते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की यह गलती उन्हें सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं पहुंचाती है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस लगातार ऐसे वाहनों पर नजर रखती है, जिसमें टिंटेड ग्लास लगे हों. नतीजन लगातार ऐसे वाहनों का चालान किया जा रहा है. बता दें कि, जुलाई महीने तक ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने टिंटेड ग्लास को लेकर बनाये गए नियम के उल्लंघन को लेकर 12066 वाहनों का चालान किया है. जो बीते दो सालों में सबसे ज्यादा है. साल 2021 में इसे लेकर 3,381 जबकि बीते साल 3,104 चालान किये गए थे.


पहली बार पकड़े जाने पर 500 रुपया जुर्माना


इस वित्तीय वर्ष में मंगोलपुरी, लाजपत नगर और आईजीआई एयरपोर्ट सर्किल पर इसे लेकर सबसे ज्यादा चालान हुए हैं. टिंटेड ग्लास लगी गाड़ी चलाने पर पहली बार 500 रुपये का चालान किया जाता है. जबकि मौके पर ही गाड़ी की विंडो पर लगी काली फिल्म को निकाल दिया जाता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के टिंटेड ग्लास को लेकर स्थिति काफी स्पष्ट नजर नहीं आती है. ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के अनुसार, उन्हें यह हिदायत दी गयी है कि जिस भी गाड़ी पर काली फिल्म लगी हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए.


ट्रैफिक पुलिस ने चलाया विशेष अभियान


ट्रैफिक पुलिस के स्पेशल सीपी सुरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि गाड़ियों में टिंटेड ग्लास के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया गया है. जिसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और चलते वाहन में होने वाले किसी तरह के अपराध को रोकना है. वहीं समय-समय पर स्कूल, कॉलेज और प्रमुख चौहरों आदि पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा लोगों के लिए सड़क सुरक्षा जागरुकता शिविर आयोजित किया जाता रहता है. जिससे लोग गाड़ियों पर टिंटेड फिल्म लगाने से बचें.


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