Delhi News: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि एनसीसीएसए (NCCSA) अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी है. उन्होंने बताया कि यह मामला कोर्ट में पांच मिनट भी नहीं टिकेगा. आम आदमी पार्टी की सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. दरअसल, सीएम केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के बंद होने का इंतजार कर रहे थे, क्योंकि कोर्ट अब एक जुलाई को खुलेगा. यह अध्यादेश सिर्फ डेढ़ महीने तक के लिए लाया गया है, क्योंकि जैसे ही कोर्ट खुलेगा तो दिल्ली सरकार इस अध्यादेश के खिलाफ जाएगी. सीएम ने आगे कहा कि, कोर्ट में यह पांच मिनट भी नहीं टिकेगा.
केंद्र सरकार जानती थी कि जो अध्यादेश ये लेकर आए हैं, वो गैरकानूनी है. अगर सुप्रीम कोर्ट के खुला रहते ये लेकर आते तो कोर्ट में यह केस पांच मिनट नहीं टिक पाता. अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली की जनता और जनतंत्र के खिलाफ केवल भद्दा मजाक किया गया. सुप्रीम कोर्ट पहले ऑर्डर दे चुका है कि राज्य सरकार को पूरा अधिकार है कि वो दिल्ली सरकार चलाए. तो ऐसे में ये अध्यादेश लाकर बीजेपी ने एक तरह से दो करोड़ लोगों को तमाचा मारा है. क्योंकि आठ साल तक आम आदमी पार्टी (AAP) और दिल्ली के लोगों ने संघर्ष किया है, ताकि वो लोकतंत्रिक तरीके से काम कर सकें.
संजय सिंह ने बीजेपी पर साधा निशाना
अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने का निर्णय पर फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में दिया था. वहीं शुक्रवार देर रात केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया है. इससे आम आदमी की दिल्ली सरकार परेशान है. शनिवार को राज्यसभा सांसद संजय सिंह और केबिनेट मंत्री आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र के द्वारा लाए गए अध्यादेश को लोकतंत्र की हत्या बताया है. आप नेताओं ने एक स्वर में कहा है कि दिल्ली सरकार जल्द ही केंद्र के अध्यादेश को फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. बीजेपी तानाशाही से सरकार चलाना चाहती है.
क्या है अध्यादेश?
अगर हम अध्यादेश की बात करें तो इसमें कहा गया है कि, दिल्ली भारत की राजधानी है, जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन है. ऐसे में अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन रहेगा. इस अध्यादेश के अनुसार राजधानी में अब अधिकारियों का तबादला और नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (एनसीसीएसए) के माध्यम से होगी. इस अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे.
मगर मुख्य सचिव व गृह सचिव इसके सदस्य होंगे. मुख्य सचिव व गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी. अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को अनुमोदन करेगी और अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में अगर कोई विवाद होता है तो आखिरी फैसला दिल्ली के एलजी का मान्य होगा.