DTC Lady Driver: सामान्यतौर पर आज के दौर में भी यह सुनने को मिल जाता है कि महिलाएं हर काम नहीं कर सकतीं, लेकिन ऐसा नहीं है, महिलाएं अब सबकुछ कर सकती हैं और कर भी रही हैं. इस बात को तीन दिन पहले दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में ड्राइवर पद की जिम्मेदारी स्वीकार कर 13 महिलाओं ने सच कर दिखाया है. इसके साथ ही अब डीटीसी के बेड़ें में कुल महिला चालकों (DTC Women Bus driver) की संख्या बढ़कर 34 हो गई हैं. 


खास बात यह है कि ये महिला चालक अलग-अलग बैकग्राउंड से हैं. कोई पांच बच्चों की मां है तो कुछ दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhu University) से पास ग्रैजुएट भी हैं. इन सबमें कॉमन बात ये है कि बस चाल की जिम्मेदारी स्वीकार करने वाली सभी की सभी महिला चालकों की पहली पसंद है ड्राइविंग. यही वजह है कि उन्होंने बेहतर करियर बनाने के लिए इस पेशे को चुना है. बात करने पर उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया की ड्राइविंग उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है.


आइए, हम आपको बताते हैं कि डीटीसी में बस चालक के रूप में काम कर रहीं 34 महिला डीटीसीकर्मियों में से कुछ चालकों के क्या हैं इस पेशे को लेकर अपने विचार. 




 कम आंकने की न करें जुर्ररत : अंजलि 
बिहार के मानिकपुर गांव निवासी 32 अंजलि ने कहा कि मैंने 2014 में एक कार चालक के रूप में इस पेशे में करियर की शुरुआत की. पांच साल तक गाड़ी चलाने के बाद महामारी के दौर में काम मिलना बंद हो गया. इसके बाद गुड़गांव में एक निजी कंपनी के लिए कुछ महीने तक काम किया. फरवरी 2022 में मेरे एक दोस्त ने डीटीसी में ड्राइवर बनने के बारे में जानकारी दी. उसके बाद मैंने सबसे पहले भारी वाहन का लाइसेंस हासिल किया. उसके बाद डीटीसी के लिए काम करना शुरू करने का फैसला किया.अंजलि ने कहा कि पुरुष अक्सर हमें यह कहते हुए कम आंकते हैं कि महिलाएं इतना तनावपूर्ण काम नहीं कर सकती हैं, लेकिन अब हम ऐसा कर रहे हैं.


महिलाओं के लिए यह पेशा सुरक्षित नहीं : सरिता


डीटीसी (DTC) में पहली महिला ड्राइवरों में से एक वी सरिता 2015 से डीटीसी में ड्राइवर हैं. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक घटना ने उन्हें असुरक्षित महसूस कराया. मुझे 2015 में नौकरी पर रखा गया था. इससे पहले वह ऑटो चलाती थी. 2016 में एक लड़के ने बस चलाते वक्त गाली दी थी. मैंने डीटीसी को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि क्या हुआ था, जब मुझे साथ देने के लिए एक मार्शल आवंटित किया गया था, हालांकि, महिलाओं को ठेके पर रखा गया है. वे स्थायी नौकरी चाहती हैं. संविदा चालकों को 8 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान किया जाता है.


महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं : निर्मला 
यूपी के जौनपुर की निवासी निर्मला देवी बुधवार से अपनी ड्यूटी शुरू करेंगी. निर्मला देवी चार बेटियों और एक बेटे की अकेली मां हैं. वह एक निजी टैक्सी की भी मालिक भी हैं. उन्होंने कहा कि उसने सुबह की शिफ्ट में सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच बस चलाने और रात में अपनी निजी टैक्सी चलाने की योजना बनाई थी. उन्होंने कहा कि मैं अपने घर में अकेली कमाने वाली हूं. मुझे अपने बच्चों की देखभाल के लिए अतिरिक्त पैसों की जरूरत है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह सरकारी बस चलाने में सुरक्षित महसूस करती हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि महिलाएं कभी सुरक्षित नहीं हैं, न तो घर में और न ही बाहर.


मुझे ड्राइविंग पसंद है : योगिता
वहीं, डीटीसी में नवनियुक्त ड्राइवर योगिता पुरिल ने हाल ही में बस चालक की जिम्मेदारी संभाली है. डीयू में वाणिज्य का अध्ययन करने वाली पुरिल ने कहा कि उसे ड्राइविंग पसंद है. जब मैं छोटी थी तो मैंने उस ऑटो ड्राइवर से वाहन चलाने के बारे में पूछा था जो मुझे मुझे स्कूल ले जाता था. मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा अपने सपने का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया. मुझे ड्राइविंग पसंद है, इसलिए में डीटीसी में ड्राइवर बन गई. 


इन समस्याओं से होना पड़ता है रूबरू: अनीता  
29 वर्षीय अनीता कुमारी का कहना है कि हमें केवल बस टर्मिनल पर वॉशरूम का उपयोग करने को मिलता है. जिस दिन बहुत अधिक ट्रैफिक होता है, मैं असहाय महसूस करती हूं. डीटीसी प्रबंधकों को बेहतर सुविधाओं पर भी ध्यान देना चाहिए. मासिक धर्म की छुट्टियों पर भी विचार करने की जरूरत है. 


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