Delhi University Theatre: दिल्ली विश्वविद्यालय के बी आर अंबेडकर कॉलेज में थिएटर सोसायटी का नाम बदलने को लेकर विवाद पैदा हो गया है. अंबेडकर कॉलेज के छात्रों ने आरोप लगाया है कि थिएटर सोसायटी का 'उर्दू' नाम बदलने के लिए उन्हें उसके प्रिंसिपल ने मजबूर किया. जबकि कॉलेज के प्रिंसिपल आर एन दुबे ने छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बिल्कुल सच नहीं है.


"ईश्वर की ओर से दिल में आई बात"
मंगलवार को, छात्रों ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर थिएटर सोसायटी का नाम 'इल्हाम' नाम से अपडेट किया, जिसका उर्दू में अर्थ (ईश्वर की ओर से दिल में आई बात) होता है. वहीं थिएटर सोसाइटी की स्थापना जनवरी 2020 में कॉलेज के छात्रों ने की थी, जिन्होंने उसी महीने एक मोनो एक्ट और एक माइम प्रतियोगिता का प्रदर्शन करते हुए एक इंटर-कॉलेज सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किया था.


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थिएटर सोसायटी का नाम पहले अस्तित्व था
इल्हाम के संस्थापक सदस्य गौतम चंद हैं. गौतम चंद ने कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने कहा, "कॉलेज में 2016-17 के आसपास एक थिएटर सोसाइटी थी, जिसे अस्तित्व के नाम से जाना जाता था. लेकिन थिएटर सर्किट में यह एक सामान्य नाम था इसलिए इसे बदलकर इल्हाम कर दिया गया." वहीं कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य के रिटायरमेंट होने के बाद आर एन दुबे को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया गया था.


प्रिंसिपल ने छात्रों के दावे को खारिज किया 
कॉलेज के प्रिंसिपल आर एन दुबे ने छात्रों के दावे को खारिज करते हुए कहा, "मैं एक एकेडमिशियन हूं और मैंने कभी भी छात्रों के सामने नाम का मुद्दा नहीं उठाया. हमारे पास चेतना नामक एक सांस्कृतिक समिति है, जिसके तहत वार्षिक पत्रिका तैयार की जाती है. एक फेस्टिवल भी आयोजित किया जाता है, जहां अलग-अलग ग्रुप भाग लेते हैं और प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं." उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे को उन्हें बदनाम करने के लिए राजनीतिक रूप से प्रेरित किया जा रहा है.


उर्दू नाम अंग्रेजी या हिंदी में बदलने के लिए कहा
अंग्रेजी वेबसाइट टीओआई के मुताबिक, इल्हाम के एक अन्य संस्थापक सदस्य अली फराज रिज़वी ने बताया, "जब इस साल फरवरी में कॉलेज खुला, तो कॉलेज में नए प्रिंसिपल आए और हमें थिएटर सोसायटी का उर्दू नाम अंग्रेजी या हिंदी में बदलने के लिए कहा. सोमवार को, हमें जूनियर छात्रों से पता चला कि अधिकारियों ने एक अल्टीमेटम दिया था कि जब तक नाम नहीं बदला जाता है, कॉलेज सोसायटी को मान्यता नहीं देगा और न ही फंड देगा. इसलिए, छात्रों को नाम बदलने पर मजबूर होना पड़ा." छात्रों ने कहा कि इस मामले में कोई लिखित निर्देश नहीं था, केवल मौखिक बातचीत हुई है. 


नाम के साथ समस्या क्यों है? छात्र
थिएटर सोसायटी के वर्तमान सदस्यों में से एक ने कहा कि छात्रों को भी डर था कि कॉलेज उनकी डिग्री रोक सकता है, जिसके कारण उन्होंने नाम बदल दिया और नाम बदलने का फैसला किया. वहीं एक सेकेंड ईयर के छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हमने पहले इसका विरोध करने का फैसला किया था, लेकिन यहां तक ​​कि थिएटर के कोर मेंबर को भी लगा कि कॉलेज छात्रों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. हम यह समझने में विफल हैं कि नाम के साथ कोई समस्या क्यों है. यह केवल अधिकारियों की खराब विचार प्रक्रिया को दर्शाता है." 


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