Delhi University Forms Committee To Manage Student - Teacher Ratio: दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) ने पहली बार एक कमेटी गठित की है जो छात्र-शिक्षक अनुपात को दुरुस्त करने के लिए काम करेगी. दरअसल डीयू प्रशासन (DU Administration) यूनिवर्सिटी की गिरती रैंकिंग से काफी परेशान है. इस साल पहले क्यूएस रैंकिंग और फिर एनआईआरएफ रैंकिंग (DU QS and NIRF Ranking 2022) में दिल्ली यूनिवर्सिटी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. पिछले साल की तुलना में डीयू निचले पायदान पर खिसका. इसे देखकर डीयू प्रशासन के माथे पर बल पड़ गए हैं. माना जा रहा है कि छात्र-शिक्षक अनुपात बिगड़ने से ऐसा हो रहा है.


पहली बार हुआ कमेटी का गठना –


टीचर-स्टूडेंट रेशियो मेंटेन करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहली बार कमेटी का गठन किया गया है. सात सदस्यीय कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने बताया कि हाल के वर्षों में छात्रों की संख्या बढ़ी है. इस सिलसिले में समिति सभी विभागों और संकायों से बात करेगी. पता लगाया जाएगा कि छात्र-शिक्षक का अनुपात क्या होना चाहिए.


इसी वजह से गिर गयी थी क्यूएस रैंकिंग –


कमेटी ये पता लगाएगी कि प्रैक्टिकल से लेकर लेक्चर तक टीचर-स्टूडेंट का क्या अनुपात होना चाहिए. डीयू प्रशासन का मानना है कि क्यूएस रैंकिंग में भी डीयू इसलिए पिछड़ा था क्योंकि छात्र-शिक्षक अनुपात ठीक नहीं था. डीयू के छात्र-शिक्षक अनुपात के लिए केवल 4.5, विदेशी फैकल्ट अनुपात के लिए 1.5 और विदेशी छात्र अनुपात के लिए महज 1.9 रेटिंग से संतोष करना पड़ा.


इतनी गिरी डीयू की रैंकिंग –


पिछले साल डीयू की रैंकिंग 501 से 510 के बीच थी. जबकि इस बार रैंकिंग 521 से 530 के बीच पहुंच गई है. दरअसल डीयू में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों की सीटों में 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इससे जिस कक्षा में पहले 100 छात्र थे उसमें अब 150 से अधिक छात्र हैं लेकिन शिक्षकों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है.


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