Delhi University: नया सत्र शुरू होने से पहले डीयू में जाति प्रमाण पत्रों की जांच की उठी मांग, जानें वजह
2012 से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) का स्पेशल सेल एससी-एसटी-ओबीसी कोटे के जाति प्रमाण-पत्रों की जांच कराता था, लेकिन अब डीयू से केंद्रीयकृत प्रवेश प्रणाली समाप्त होने पर यह कॉलेजों की जिम्मेदारी है.
DU Fake Cast Certificate: दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में दाखिला लेने वाले छात्रों के जाति प्रमाण पत्रों (Caste Certificate) की जांच कराने की मांग शुरू हो गई है. दरअसल इस साल अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन 31 दिसम्बर 2022 तक हुए हैं. लिहाजा शिक्षक संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि जाति प्रमाण-पत्रों की जांच के लिए कॉलेज प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी किए जाएं और एक महीने के अंदर यह इसे पूरा कर लिया जाए. गौरतलब है कि जिन छात्रों ने पिछले साल कॉलेजों में ऑनलाइन दाखिला लिया था, उनमें से बहुत से कॉलेजों ने अभी तक उनके एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के जाति प्रमाण-पत्रों की जांच नहीं कराई है.
यही वजह है कि अब दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अगले शैक्षिक सत्र 2023-24 के शुरू होने से पहले जाति प्रमाण-पत्रों की जांच की मांग शुरू कर दी है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि जाति प्रमाण-पत्रों की जांच की मांग इसलिए की जा रही है, क्योंकि देखने में आया है कि पिछले कई वर्षों से फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों के आधार पर कुछ छात्र एडमिशन पा जाते हैं. पहले कोरोना महामारी के चलते भी जाति प्रमाण पत्रों की जांच नहीं हो पाई है.
कॉलेजों में पाए गए हैं फर्जी जाति प्रमाण-पत्र
उन्होंने बताया है कि 2012 से पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्पेशल सेल एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के जाति प्रमाण-पत्रों की जांच कराता था, लेकिन अब डीयू से केंद्रीयकृत प्रवेश प्रणाली समाप्त होने पर यह कॉलेजों की जिम्मेदारी है. शिक्षकों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से देखने में आया है कि कॉलेजों में एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के फर्जी जाति प्रमाण-पत्र पाए गए हैं. वह भी तब संभव हो पाया कि जब संदेह हुआ और जांच के बाद फर्जी जाति प्रमाण पत्र पाए गए. बाद में ऐसे छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया गया.
साल 2020-21 में फिजिकली कॉलेज नहीं आए थे छात्र
उनका कहना है कि वर्ष 2020-21 में छात्र फिजिकली कॉलेज आए ही नहीं, जिससे उनके जाति प्रमाण पत्रों की जांच की जा सके. उसने ऑनलाइन एडमिशन लेते समय जाति प्रमाण पत्र की अपनी फोटो कॉपी कॉलेज और विश्वविद्यालय को भेजी. अब ऑनलाइन एडमिशन पाए छात्रों के जाति प्रमाण पत्रों की जांच कराने की मांग भी दोहराई गई है.
यह भी पढ़ें- पटरी पर अब 8 ‘वंदे भारत’, पीएम मोदी बोले- 'सिकंदराबाद-विशाखापट्टनम ट्रेन से धार्मिक आस्था को मिलेगी मजबूती'