(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डीयू में मनुस्मृति पढ़ाने को लेकर हुआ विवाद तो क्या बोले वीसी योगेश सिंह?
Yogesh Singh statement: DU के वीसी योगेश सिंह ने कहा कि एसी की बैठक शुरू होने से पहले ही घोषणा कर दी गई थी कि रिजेक्टेड प्रपोजल पर चर्चा नहीं होगी. मनुस्मृति की पांडुलिपि छात्रों को नहीं पढ़ाई जाएगी
Delhi University News: बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह ने साफ कर दिया था कि डीयू के एलएलबी में न्यायशास्त्र कोर्स में मनुस्मृति से संबंधित संशोधित विषय नहीं पढ़ाया जाएगा. यह फैसला एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में लिया गया था। आज भी एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग चल रही है. हालांकि, इस सब्जेक्ट पर चर्चा नही की गई है.
वीसी योगेश सिंह ने कहा कि एसी की बैठक शुरू होने से पहले ही घोषणा कर दी गई थी कि रिजेक्टेड प्रपोजल पर चर्चा नहीं होगी. मनुस्मृति की पांडुलिपि छात्रों को नहीं पढ़ाई जाएगी. शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल की बैठक शुक्रवार सुबह 11 बजे शुरू हुई. यह देर शाम तक चल सकती है.
#WATCH | Delhi University Vice Chancellor Yogesh Singh says, "Delhi University received a proposal from the Faculty of Law, in which changes were made in Jurisprudence one of the courses. They gave two suggestive texts for Medhatithi's Concept of State and Law- Manusmriti with… pic.twitter.com/CiMeNRud8i
— ANI (@ANI) July 11, 2024
विधि संकाय के सुझाव में क्या है?
दरअसल, गुरुवार को विधि संकाय द्वारा एक प्रस्ताव दिल्ली विश्वविद्यालय को सौंपा गया. प्रस्ताव में न्यायशास्त्र नामक पेपर में बदलाव का सुझाव दिया गया था। परिवर्तनों के तहत पेपर में मनुस्मृति पर पाठ शामिल करना था। इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक वीडियो संदेश में वीसी योगेश सिंह ने कहा कि हमने सुझाए गए पाठ और संकाय द्वारा प्रस्तावित संशोधन दोनों को खारिज कर दिया है। इस तरह की कोई भी चीज छात्रों को नहीं पढ़ाई जाएगी.
इसके लिए विधि संकाय ने अपने प्रथम और तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों को 'मनुस्मृति' पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था एसी से अनुमोदन मांगा था. न्यायशास्त्र के पाठ्यक्रम में परिवर्तन एलएलबी के पहले और छठे सेमेस्टर से संबंधित थे. संशोधनों के अनुसार मनुस्मृति पर दो पाठ जीएन झा द्वारा मेधातिथि के मनुभाष्य के साथ मनुस्मृति और टी कृष्णस्वामी अय्यर द्वारा मनुस्मृति की टिप्पणी 'स्मृतिचंद्रिका' विद्यार्थियों के लिए पेश किए जाने का प्रस्ताव था। विधि संकाय की पाठ्यक्रम समिति ने संशोधनों का सुझाव देने के निर्णय को 24 जून की बैठक में सर्वसम्मति से पास किया गया था. उस बैठक की अध्यक्षता डीन अंजू वली टिकू ने की थी.
'मनुस्मृति पढ़ाने की सलाह आपत्तिजनक'
इस कदम पर आपत्ति जताते हुए वाम समर्थित सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एसडीटीएफ) ने कुलपति को पत्र लिखकर कहा सिंह को लिखे पत्र में एसडीटीएफ के महासचिव एसएस बरवाल और अध्यक्ष एस के सागर ने कहा कि छात्रों को मनुस्मृति को पढ़ने की सलाह देना बेहद आपत्तिजनक है.
यह पाठ भारत में महिलाओं और हाशिए के समुदायों की प्रगति और शिक्षा के प्रतिकूल है। मनुस्मृति के कई खंडों में महिलाओं की शिक्षा और समान अधिकारों का विरोध किया गया है। मनुस्मृति के किसी भी खंड या हिस्से को शामिल करना हमारे संविधान के मूल ढांचे और भारतीय संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ हैं. एसडीटीएफ ने मांग की कि प्रस्ताव को तुरंत वापस लिया जाए
दिल्ली बीजेपी का AAP के खिलाफ प्रदर्शन, बिजली बिलों पर लगे इन चार्जों को वापस लेने की मांग