Delhi Crops Spoiled: राजधानी दिल्ली में कल बारिश के बाद लोगों को फरवरी महीने से ही महसूस हो रही गर्मी से राहत मिल गई. वहीं इस बेमौसम की बारिश के साथ ओलावृष्टि ने एक बार फिर से किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. इस बारिश और ओलावृष्टि की वजह से खेतों में लगी पालक और गेहूं की फसलें बर्बाद हो गई. इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
कल तक खेतों में लहलहा रहे जिन फसलों को लेकर किसान बेहद खुश थे और फसलों को काटकर बेचने के बाद कर्ज चुकाने का सपना देख रहे थे. वह किसान आज अपनी फसलों को देख कर बेहद उदास हो गए हैं. शनिवार दोपहर हुई भारी बरसात के साथ ओलावृष्टि ने किसानों के लहलहाते खेतों की फसलों को नष्ट कर दिया. आसमानी आपदा का कहर इस कदर किसानों के सपनों पर टूटा है कि किसानों के चेहरों की मुस्कुराहट गायब हो गई है.
गेहूं-पालक की फसल गिरी
खेतों में पकी हुई गेहूं की फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है, क्योंकि बारिश के साथ ओलावृष्टि की वजह से फसलें गिर गई हैं. अभी बरसात ठीक तरीके से बंद भी नहीं हुई थी कि, किसान अपनी फसलों को देखने के लिए दौड़ते हुए अपने खेतों में पहुंचे. यहां हर तरफ उन्हें अपना नुकसान ही नजर आ रहा था. बाहरी दिल्ली के बख्तावरपुर गांव में ओलावृष्टि की वजह से ज्यादातर गेहूं और पालक की फसलें नष्ट हो गई हैं. पालक की फसल भी कुछ दिनों में तैयार होने वाली थी, लेकिन इस ओलावृष्टि से पालक की फसल का पत्ता-पत्ता बिखर चुका है. कल तक जो फसल किसानों को मुनाफा देने वाली थी, आज वह फसल किसानों के लिए मायूसी बन चुकी है.
किसानों की सरकार से मदद की गुहार
बाहरी दिल्ली में अचानक हुई ओलावृष्टि और मूसलाधार बरसात के बाद नष्ट हुई फसल को लेकर अब किसानों का आसरा सिर्फ सरकार ही है. एबीपी न्यूज से बात करने के दौरान देवेंद्र, रामदयाल महतो और सुरेंद्र कुमार समेत अन्य किसानों का कहना है कि दिल्ली सरकार की तरफ से किसानों की फसलों में हुए नुकसान की भरपाई को लेकर कोई योजना बनाए जाए. वहीं बहुत से ऐसे किसान भी हैं जो कर्ज लेकर फसल उगाते हैं और फसल तैयार कर मंडी में बेचकर कर्ज की भरपाई करते हैं. साथ ही बचे-खुचे पैसों से अपने घर की जीवन शैली चलाते हैं. ऐसे में सरकार को किसानों की तरफ नष्ट हुई फसलों को लेकर एक बार विचार जरूर करना चाहिए.
पहले भी किसानों का हो चुका है बारिश से नुकसान
गौरतलब है कि एक साल पहले भी बेमौसम की बारिश की वजह से दिल्ली देहात के खेतों में लगी सारी फसलें खराब हो गयी थी. इस वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था और वे कर्जे में डूब गए थे. वहीं ज्यादातर किसान किराए पर खेतों को लेकर खेती करते हैं और उसके लिए भी उन्हें कर्ज लेना पड़ता है. खेती के दौरान, बीज-खाद, पानी और फसलों की देखरेख पर भी काफी खर्च आता है.