Delhi-Varanasi Bullet Train Project: दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना पर अब संकट के बाद मंडराते नजर आ रहे हैं. दरअसल रेलवे बोर्ड ने दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड कॉरिडोर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. यही नहीं अधिकारियों में हाई स्पीड अथवा सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने को लेकर भी आम सहमति नहीं है.
अधिकारियों ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट की खारिज
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेलवे बोर्ड के सचिव आरएन सिंह की अध्यक्षता में पिछले हफ्ते दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा बैठक हुई थी, इस बैठक में नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (एनएचएसआरसीएल) बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे. एक अधिकारी ने बताया कि इस बैठक में फिजिबिलिटी रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया गया.
रास्ते में आने वाले मोड़ बन रहे अड़चन
फिजिबिलिटी रिपोर्ट में नेशनल हाईवे-2 के साथ-साथ बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने का भी सुझाव दिया गया था. इसमें जमीन का अधिग्रहण सस्ती दरों पर हो सकेगा और निर्माण लागत भी कम होगी. कॉरिडोर के निर्माण पर करीब 2.25 लाख करोड़ रुपके के खर्च का अनुमान लगाया गया है. हालांकि इसकी असली लागत डीपीआर बनने के बाद ही पता चलेगी. वहीं इस कॉरिडोर को बनाने में तकनीकी समस्या ये है कि एनएच-2 दिल्ली से वाराणसी के बीच तमाम स्थानों पर मोड़ हैं, जबकि 350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीट कॉरिडोर एक दम सीधा होना चाहिए.
क्यों एकमत नहीं है अधिकारी
दरअसल, मामला ये है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को दिसंबर 2023 में पूरा होना था, लेकिन अभी गुजरात में केवल इसको लेकर खंभे गढ़े हैं, महाराष्ट्र में जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. देरी के कारण परियोजना की लागत 1.50 लाख करोड़ तक पहुंचने वाली है. अधिकारियों का कहना है कि हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने में 200 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर खर्च पड़ रहा है, इसलिए 160-200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार वाली सेमी हाई स्पीट वंदे भारत ट्रेन ही चलाई जाए. बता दें कि सरकार ने आम बजट में 400 नई वंदे भारत ट्रेन चलाने की घोषणा की है.
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