Delhi Suicide Case: दिल्ली के वसंत कुंज इलाके से एक ही परिवार के पांच लोगों द्वारा आत्महत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यह घटना रंगपुरी गांव की है. सूचना मिलने के बाद से पुलिस मामले की जांच में जुटी है. बताया जा रहा है कि पीड़ित शख्स की चारों बेटियां दिव्यांग थी.
दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के रंगपुरी गांव में एक ही परिवार के पांच लोगों द्वारा जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या की घटना का खुलासा शुक्रवार सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर पड़ोसियों द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद हुई. इस घटना की सूचना मिलने के बाद थाना पुलिस मौके पर पहुंची तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. दरवाजे को तोड़ा गया तो पांच सड़े गले शव बरामद हुए.
पुलिस ने शवों को बाहर निकाला. फिलहाल, पुसिल इस मामले की जांच में जुटी है. पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि एक व्यक्ति और उसकी चार बेटियों ने सुसाइड क्यों किया?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक शुरुआती जांच से लग रहा है कि पिता ने पहले सभी को साल्फज खिलाया और बाद में खुद खा लिया. पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच के बाद घटना का सीक्वेंस पता चल पाएगा. पुलिस को अंदेशा है कि दिव्यांग बेटियों का पिता ने बुरी परिस्थितियों की वजह से सुसाइड जैसा कदम उठाया होगा.
कारपेंटर का काम करता था पीड़ित शख्स
दिल्ली पुलिस के मुताबिक पिता हीरलाल कारपेंटर का काम करता था और पत्नी की मौत एक साल पहले कैंसर से हुई थी. उसके बाद हीरलाल अकेला पड़ गया था. पत्नी की मौत की वजह से हीरालाल पूरी तरह टूट चुका था. पिता सीसीटीवी फुटेज में 24 तारीख को घर के अंदर जाते दिखा है. उसके बाद से घर का दरवाजा अंदर से बंद था.
चारों बेटियां थीं दिव्यांग
दिल्ली पुलिस के अनुसार कारपेंटर की चारों बेटियां थीं दिव्यांग पुलिस की शुरुआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ चारों बेटियां दिव्यांग होने की वजह से चलने फिरने में असमर्थ थीं. इनमें से एक बेटी को आंख से दिखता नहीं था. एक को चलने की में दिक्कत थी.
हीरालाल पिछले 28 वर्षों से इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर वसंत कुंज में बढ़ई के पद पर काम करता था. वह 25 हजार रुपये प्रति माह कमाता था. जनवरी 2024 से वह वहां अपनी ड्यूटी पर नहीं जा रहा था.
बेटियों के इलाज में रहता था व्यस्त
मृतक के भाई मोहन शर्मा और उनकी भाभी गुड़िया शर्मा के मुताबिक मृतक ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद पारिवारिक मामलों में रुचि लेना बंद कर दिया था. हमेशा किसी न किसी अस्पताल में अपनी बेटियों के इलाज में व्यस्त रहता था. बेटियां शायद ही कभी अपने कमरे से बाहर निकलती थीं.
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