Delhi News: दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आशीष मोरे को जमीन संबंधी एक शिकायत के सिलसिले में बुधवार को तलब किया है. विधानसभा ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है. आधिकारिक बयान के मुताबिक समिति ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और संभागीय आयुक्त से भी बैठक में उपस्थित रहने का अनुरोध किया है. इस मामले में आईएएस आशीष मोरे आज कमेटी के सामने पेश हो सकते हैं. 


आईएएस आशीष मोरे को हाल ही में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा सेवा सचिव के पद से हटा दिया गया था. सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार ने अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उनके खिलाफ ये कार्रवाई की थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार है, लेकिन इसे केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर पलट दिया. केंद्र ने इसके पीछे तर्क दिया था कि दिल्ली देश की राजधानी है, इसलिए ऐसा करना जरूरी है. बता दें कि आईएएस आशीष मोरे के अलावा दिल्ली सरकार के अन्य दो शीर्ष नौकरशाहों को कमेटी की ओर से भेजे गए नोटिस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.  


क्या है पूरा मामला  


साल 2022 में दिल्ली से लगे झंगोला गांव में भूमि हस्तांतरण धोखाधड़ी मामले में पांच एसडीएम और एक एडीएम को निलंबित कर दिया गया था. जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी उनमें अजीत ठाकुर, हर्षित जैन, देवेंद्र शर्मा, पीसी ठाकुर, नागेंद्र त्रिपाठी और नितिन जिंदल का नाम शामिल है. दिल्ली भूमि विवाद मामले में विधानसभा की याचिका समिति ने इससे संबंधित फाइलें मांगी थी, सात विधानसभा की कमेटी को सात दिन भी संबंधित फाइलें मुहैया नहीं कराई गई हैं. बताया जा रहा है कि आईएएस आशीष मोरे ने पहले झंगोला गांव में सरकार से संबंधित विस्थापित संपत्ति को गैर कानूनी तरीके से हस्तांतरित किया और उसके बाद लोगों को भूमिधारी के अधिकार दे दिए. 


राजशेखर ने पेश न होने की बताई ये वजह


दिल्ली विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी ने इससे पहले विशेष सतर्कता सचिव राजशेखर को मंगलवार शाम 4 बजकर 45 मिनट पर पेश होने के लिए बुलाया था. राजशेखर कमेटी के सामने पेश नहीं हुए. उन्होंने कमेटी को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है कि नए अध्यादेश के बाद कमेटी के पास अधिकारियों को बुलाने का अधिकार नहीं है. उन्होंने, पत्र में इस बात भी जिक्र किया कि पारदर्शिता के लिए 2 हफ्ते बाद मैं कमेटी के सामने पेश हो सकता हूं. एक व्यक्ति ने नौकरी देने के मामले में राजशेखर पर जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप लगाया था. 


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