Delhi News: दिल्ली सरकार महिलाओं के लिए एक खुशखबरी लेकर आई है. अब दिल्ली में महिलाएं पूरी सुरक्षा के साथ नाइट शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी. श्रम मंत्री ने इसके ड्राफ्ट को अपनी मंजूरी दे दी है. दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक कर महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति देने व उनकी सुरक्षा समेत अन्य बिंदुओं पर बने ड्राफ्ट पर श्रम विभाग के अधिकारियों से चर्चा की. अब श्रम विभाग जनता से इसपर सुझाव और आपत्तियां मांगेगा और उसके बाद ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा. 


महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के मद्देनजर दिल्ली सरकार काफी गंभीर है. इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने श्रम विभाग की बैठक ली थी और इस विषय में आगे कदम उठाने के निर्देश दिए थे. उसी परिपेक्ष में श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने श्रम विभाग के अधिकारियों से ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे. जिस पर शुक्रवार को विस्तार से चर्चा की गई और श्रम मंत्री ने ड्राफ्ट को मंजूरी देते हुए यह तय किया गया कि अब महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उन्हें भी नाइट शिफ्ट में काम करने का अवसर देना चाहिए. हालांकि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियोक्ताओं को महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर उचित इंतजाम करने होंगे. 


अब रात 7 बजे से सुबह 6 बजे तक काम कर सकेंगी महिलाएं
श्रम मंत्री राज कुमार आनंद ने शुक्रवार को श्रम विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर दिल्ली व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति नियम, 2023 के मानकों पर बने ड्राफ्ट पर चर्चा की. इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उन्हें नाइट शिफ्ट में काम करने का फैसला लिया गया है. अब महिलाएं रात 7 बजे से सुबह 6 बजे काम कर सकती हैं, हालांकि इसके लिए महिलाओं की सहमति होना बेहद आवश्यक है. नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए एम्पलॉइअर को उनके लिए घर से दफ्तर तक यातायात की व्यवस्था करनी होगी. कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए शौचालय, पीने के पानी और उनके आवागमन के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए और वह उनके कार्यस्थल के पास होना चाहिए.


महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियोक्ताओं को अलग नंबर जारी करना होगा, जिसे कार्यस्थल के साथ ही वाहन पर लिखा होना चाहिए ताकि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में महिला कर्मचारी इसका इस्तेमाल कर मदद मांग सकें. कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के रोकथाम के लिए सेक्शुअल हैरेसमेंट ऑफ वुमन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल) एक्ट 2013 का पालन करते हुए उचित इंतजाम किए जाने चाहिए. कार्यस्थल में महिलाओं के लिए सुरक्षित और स्वस्थ माहौल होना चाहिए ताकि उन्हें कार्य करते समय परेशानी का सामना न करना पड़े. 


इस दौरान अब ओवर टाइम काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी मेहनत का पैसा मिलेगा. एक दिन में 8 घंटे से अधिक काम करने या एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने को ओवर टाइम माना जाएगा. इसके तहत अगर कोई कर्मचारी ओवर टाइम करता है तो उसे न्यूनतम मजदूरी के आधार पर प्रति घंटे के हिसाब से दोगुना तक अतिरिक्त भुगतान मिल सकता है. कोई भी व्यक्ति एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा और न ही लगातार 7 दिन ओवर टाइम करेगा. वहीं एक हफ्ते में 60 घंटे से अधिक कार्य नहीं कर सकेगा. इसी के साथ नियोक्ताओं को कर्मचारियों को साल में कुछ छुट्टियां भी देना अनिवार्य किया गया है. 


हर कर्मचारी को मिलेगा एक्सपीरियंस लेटर और सैलरी स्लिप
बैठक में श्रम मंत्री ने कहा कि किभी भी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को जॉइनिंग और अनुभव पत्र (एक्सपीरियंस लेटर) देना अनिवार्य होगा. नियोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां कार्यरत सभी कर्मचारियों का रिकॉर्ड दर्ज होना चाहिए, इसी के साथ सभी कर्मचारियों को सैलरी स्लिप जरूर मिलनी चाहिए. जहां भी प्रवासी कर्मचारी कार्यरत होंगे वहां नियोक्ताओं को उन्हें साल में एक बार यात्रा भत्ता देना होगा. इसके लिए नियोक्ताओं को कर्मचारी के लिए कुछ राशि तय करनी होगी. यात्रा भत्ता इतना होना चाहिए कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी बस या रेल से यात्रा करते हुए अपने घर आने और जाने का खर्च निकाल सके. 


दिल्ली में जितने भी कर्मचारी खतरनाक केमिकल और सामग्री से संबंधित फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं उनकी हर साल मेडिकल जांच कराई जाएगी. इसकी जिम्मेदारी भी फैक्ट्री संचालक की ही होगी कि वह अपने कर्मचारियों के खून, पेशाब, एक्स-रे अन्य जांच कराने के साथ ही मेडिकल इंस्पेक्टर द्वारा प्रस्तावित जांच कराना सुनिश्चित करे. लोगों को खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए श्रम विभाग के इंस्पेक्टर समय-समय पर फैक्ट्री का निरीक्षण करेंगे और नियोक्ताओं को इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए निर्देश देंगे. जिसका पालन न होने पर नियोक्ता के खिलाफ श्रम विभाग ठोस कदम भी उठाएगा.  


दुर्घटना होने पर 12 घंटे के अंदर श्रम विभाग को देनी होगी जानकारी
किसी भी कंपनी, फैक्ट्री या अन्य कार्यस्थल पर कोई भी दुर्घटना होने पर नियोक्ता को 12 घंटे के अंदर घटना की जानकारी श्रम विभाग को देनी होगी. वह टेलीफोन, मैसेज और ई-मेल के जरिए श्रम विभाग के इंस्पेक्टर और चीफ इंस्पेक्टर से संपर्क कर सकते हैं. किसी भी कर्मचारी की मृत्यु की घटना पर नियोक्ता को इसकी जानकारी देते हुए श्रम विभाग, जिलाधिकारी या उप-खंड मजिस्ट्रेट और पुलिस स्टेशन इंचार्ज और प्रवासी कर्मचारी होने पर उसके राज्य के संबंधित विभाग को नोटिस भेजकर जानकारी देनी होगी.


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