दिल्ली के जंतर-मंतर पर कश्मीरी पंडितों ने न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. कश्मीरी पंडित समुदाय की मांग है कि कश्मीर में पंडितों के नरसंहार को मान्यता दी जाए और इसपर जल्द एसआईटी गठित कर दोषियों को तुरंत फांसी की सजा दी जाए. दरअसल, फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज होने के बाद से ही कश्मीरी पंडितों ने अपने लिए न्याय की आवाज बुलंद कर दी है. जम्मू-कश्मीर में 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचारों और पलायन पर कश्मीरी पंडित आक्रोश में हैं और सरकार से जल्द न्याय की मांग कर रहे हैं.
कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसको मान्यता दी जाए
कश्मीर समिति दिल्ली के सदस्य कंवल चौधरी ने बताया कि, कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ उसको मान्यता दी जाए और दोषियों को मौत की सजा मिले. 32 साल से दिल्ली में बैठे हुए हैं क्योंकि हमें जबरन कश्मीर से निकाला गया है. हम कब तक इस तरह से रहेंगे? हमें कश्मीर से इसलिए निकाला गया क्योंकि हमने उनकी बात नहीं मानी.
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कश्मीरी पंडित राकेश हांडू ने बताया कि, हमारे कातिलों पर एसआईटी बिठाई जाए और बिट्टा कराटे को फांसी की सजा दी जाए. इस मामले को 32 साल हो गए, सरकार क्या रही है? हम कश्मीर फाइल्स का आभार व्यक्त करते हैं उन्होंने सबके सामने सच्चाई रखी.
केस उत्तरप्रदेश में शिफ्ट कर दिया जाए
फास्ट्रैक में यह केस चले या उत्तरप्रदेश में इस केस को शिफ्ट कर दिया जाए, क्योंकि जो विकास दुबे का हाल हुआ वही इन दोषियों का होगा. सरकार की यदि हमारे केस में साफ नियत होगी तो जिस तरह यासीन मलिक का केस जम्मू कश्मीर से दिल्ली शिफ्ट किया गया है उसी तरह दिल्ली कर दो.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर सरकार का डेटा कहता है कि 44684 कश्मीरी विस्थापित परिवार राहत और पुनर्वास आयुक्त (विस्थापित) जम्मू के कार्यालय में पंजीकृत हैं. वहीं, वापस विस्थापित किए गए लोगों की जानकारी दें तो कश्मीरी विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के उद्देश्य से जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने 5 अगस्त 2019 से 1697 ऐसे व्यक्तियों को नियुक्ति प्रदान की है और इस संबंध में अतिरिक्त 1140 व्यक्तियों का चयन किया गया है.
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