Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को (2 नवंबर) को अधिकारियों को धौला कुआं में स्थित 100 साल पुरानी शाही मस्जिद, कब्रिस्तान और एक स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया. जस्टिस प्रतीक जालान ने नोटिस जारी करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया और मस्जिद और सार्वजनिक कब्रिस्तान को तोड़े जाने की आशंका वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार की धार्मिक समिति, केंद्र और डीडीए सहित अन्य से जवाब मांगा. अदालत ने अधिकारियों से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने मामले को 31 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.


जस्टिस प्रतीक ने इस मामले को सुनते हुए कहा, "इस बीच, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संरचनाएं 100 साल पुरानी है, मामले की सुनवाई की अगली तारीख यानी 31 जनवरी तक संरचनाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया जाता है." अदालत धौला कुआं में बाग मोची, किचनर झील के पास स्थित शाही मस्जिद और कब्रिस्तान को लेकर कंगाल शाह की प्रबंध समिति ने याचिका दायर की थी.  जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी.


ढाहे जाने की आशंका में की थी याचिका दायर 


याचिकाकर्ता प्रबंध समिति ने अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से, 20 अक्टूबर को आयोजित शहर सरकार की धार्मिक समिति की बैठक के अनुसार अपनी मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की आशंका में याचिका दायर की थी. दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 नवंबर को धौला कुआं स्थित 100 साल पुरानी शाही मस्जिद, एक कब्रिस्तान और एक स्कूल के खिलाफ फिलहार कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है.  


अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी


जस्टिस प्रतीक जालान ने नोटिस जारी करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया. उन्होंने नोटिस जारी करते हुए मस्जिद, मदरसा और एक सार्वजनिक कब्रिस्तान को ढहाये जाने की आशांका वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार की धार्मिक सिमित, केंद्र दिल्ली विकाल प्राधिकरण, दिल्ली छावनी क्षेत्र के उपसंभागीय मजिस्ट्रेट और दिल्ली वक्फ बोर्ड से जवाब तलब किया है. बदा दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2024 को होगी. 


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