Delhi: CBI ने वधावन बंधुओं की वैधानिक जमानत को दिल्ली HC में दी चुनौती, बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा मामला
DHFL case: सीबीआई ने निचली अदालत के तीन दिसंबर के फैसले को चुनौती है. निचली अदालत ने वधावन बंधुओं को इस आधार पर वैधानिक जमानत दे दी थी कि सीबीआई की ओर से दायर किया गया आरोप पत्र ‘अधूरा’ है.
Delhi News: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन और उनके भाई धीरज वधावन को करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में निचली अदालत से मिली वैधानिक जमानत को दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को चुनौती दी.
अधूरे आरोप पत्र का हवाला देते हुए HC ने दी थी जमानत
सीबीआई के वकील ने याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के समक्ष उल्लेखित किया था जिसपर मंगलवार को सुनवाई की जा सकती है. सीबीआई ने निचली अदालत के तीन दिसंबर के फैसले को चुनौती है. निचली अदालत ने वधावन बंधुओं को इस आधार पर वैधानिक जमानत दे दी थी कि सीबीआई की ओर से दायर किया गया आरोप पत्र ‘अधूरा’ है.
अधूरे आरोप पत्र के लिए सीबीआई जिम्मेदार नहीं
विशेष अदालत ने अपने आदेश कहा था कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपी शायद ज़मानत के हकदार नहीं हो सकते हैं, लेकिन यह अदालत कानून की वजह से उन्हें ज़मानत पर रिहा करने के लिए ‘‘बाध्य’’ है, क्योंकि आरोप पत्र अधूरा है. आदेश में कहा गया है कि सीबीआई को अधूरा आरोप पत्र दायर करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि 90 दिन में इतने बड़े मामले की जांच पूरी करना व्यावहारिक तौर पर बहुत मुश्किल है, खासकर तब जब आरोपियों ने अपराध को अंजाम देने में कई साल लगाए हैं.
आरोप पत्र के बिना आरोपी को जमानत पाने का अधिकार
विशेष अदालत ने कहा कि कानून के तहत यह जरूरी है कि आरोपी की गिरफ्तार से 60 या 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दायर किया जाए और किसी भी कारण से ऐसा नहीं होता है तो मामलों के तथ्यों पर चर्चा किए बिना ज़मानत पाना आरोपियों का अधिकार है.
आदेश में कहा गया है कि वधावन बंधुओं को इस मामले में 19 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया गया था. वह लखनऊ और मुंबई में लंबित मामलों की वजह से हालांकि अप्रैल 2020 से ही हिरासत में थे. यहां अदालत में 15 अक्टूबर को आरोप पत्र दायर किया गया था और इस पर संज्ञान लिया गया था.