Diwali 2023: आज अलर्ट मोड पर दिल्ली के अस्पताल और डॉक्टर, सफदरजंग समेत कई हॉस्पिटल्स में 24 घंटे बहाल रहेंगी सेवाएं
Delhi News: दिल्ली में से हताहत होने की स्थिति में लोगों के इलाज के लिए अस्पतालों ने पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं. आग से झुलसे लोगों के लिए बेड को सुरक्षित रखने के साथ डॉक्टरों की टीम को अलर्ट रखा गया है.
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Happy Diwali 2023: देश भर में रविवार दिवाली (Diwali) का त्योहार मनाया जा रहा है. जहां लोग साफ-सफाई और सजावट, पूजा-पाठ के साथ इस त्योहार को मनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं, तो वहीं आज के दिन आगजनी की घटना से निपटने के लिए दिल्ली फायर डिपार्टमेंट (Delhi Fire Department) ने पूरी तैयारी कर रखी है. साथ ही आग से हताहत होने की स्थिति में लोगों को त्वरित इलाज मिल सके इसके लिए अस्पतालों ने पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं.
इसी कड़ी में सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) के बर्न वार्ड में आग से झुलसे लोगों के लिए बेड को सुरक्षित रखने के साथ 24 घंटे डॉक्टरों की टीम को अलर्ट मोड़ पर रखा गया है. सफदरजंग अस्पताल समेत कई अस्पतालों की सेवाएं पूरी क्षमता के साथ 24 घंटे बहाल रहेंगी. आपात स्थिति में भर्ती किये जाने वाले लोगों के लिए सफदरजंग अस्पताल के बर्न वार्ड में 20 बेड को आरक्षित करने के साथ 24 घंटे सभी डॉक्टर और नर्स की तैनाती की गई है. इसके अलावा यहां इमरजेंसी में चार काउंटर अलग से बनाए गए हैं, जिससे कि इमरजेंसी स्थिति में आने वाले मरीजों को भर्ती करने में परेशानी ना हो.
एलएनजेपी में 70 बेड आरक्षित
वहीं दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में डिजास्टर वार्ड में 70 बेडों को आरक्षित रखा गया है. वार्ड में जले हुए मरीज के इलाज के लिए सभी आवश्यक सामान की व्यवस्था की गई है. मिली जानकारी के अनुसार, दिवाली पर इमरजेंसी में सभी डॉक्टर और नर्स की मौजूदगी रहेगी. अस्पताल में पटाखे से जलने का कोई भी मामला आने पर मरीज को तुरंत इलाज दिया जाएगा. अगर मरीज भर्ती करने की स्थिति में होगा तो उसे भर्ती भी किया जाएगा. बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने भी दीवाली पर आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की है.
पटाखों पर प्रतिबंध के बाद जलने के मामलों में आई कमी
इसके अलावा नगर निगम के हिंदू राव अस्पताल, स्वामी दयानंद हॉस्पिटल और केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बेड आरक्षित किए गए हैं. बता दें कि पहले जब दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध नहीं था तब हर साल पटाखों से जलने के 200 से ढाई सौ मामले आते थे, लेकिन जब से पटाखों पर बैन लगने लगा है, तब से पटाखे से जलने की 50 से 100 मामले सामने आते हैं. इनमें से कई मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत पड़ती है. वहीं, अधिकतर को प्राथमिक इलाज देकर ही घर भेज दिया जाता है.
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