Delhi Yamuna Water: DJB ने दी बड़ी जानकारी, साल के अंत तक ये काम होने के बाद यमुना पहले की तरह दिखेगी 'निर्मल '
Delhi Yamuna Water: दिल्ली सरकार का लक्ष्य साल के अंत तक गंदे पानी को यमुना (Yamuna) में गिरने से रोकना है. इससे यमुना में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी.
Delhi Jal Board Tweets: लंबे अरसे से भले ही यमुना में प्रदूषण (Yamuna Pollution) को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं, लेकिन बहुत जल्द यमुना का पानी पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल नजर आएगा. इस बात की जानकारी दिल्ली जल बोर्ड (DJB Tweets) ने देश की राजधानी में रहने वाले लोगों को खुद ट्विटकर दी है. डीजेबी ने अपने ट्वीट में बताया है कि साल के अंत तक यमुना में दिल्ली (Delhi News) के नाले का गंदा पानी गिरना बंद हो जाएगा.
गंदा पानी बहाने वाले सभी नालों को बंद कर दिया जाएगा और इस पानी को अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) की ओर मोड़ा जाएगा. बता दें कि दिल्ली सरकार का लक्ष्य दिसंबर 2023 तक यमुना में नालों से गिर रहे गंदे पानी को गिरने से रोकना है. इससे यमुना में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी. इस बारे में दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों द्वारा एलजी विनय सक्सेना को जरूरी प्रेजेंटेशन भी दिया जा चुका है.
DJB के ट्वीट में क्या है?
दिल्ली जल बोर्ड ने एक ट्वीटकर बताया कि मोरी गेट नाले के गंदे पानी को यमुना में गिरने से पहले ट्रीट करने के लिए कोरोनेशन पिलर WWTP का निर्माण किया गया है. इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के तहत सीवेज पम्पिंग स्टेशन का निर्माण जारी है. यह काम इसी साल पूरा कर लिया जाएगा. काम पूरा होने के बाद मोरी गेट नाले का पानी ट्रीट होगा. इसका सीधा असर यह होगा कि साल 2023 के अंत तक यमुना में नाले का गंदा पानी गिरना बंद हो जाएगा.
हाल ही में यमुना के पानी को स्वच्छ बनाने को लेकर हुई एक बैठक में अधिकारियों ने बताया था दिल्ली में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) दिसंबर तक निर्धारित मानकों के अनुरूप रोजाना 814 मिलियन गैलन अपशिष्ट जल (एमजीडी) का शोधन करने में सक्षम होंगे. दिल्ली प्रतिदिन 768 मिलियन गैलन (एमजीडी) सीवरेज उत्पन्न करती है. राजधानी में 35 एसटीपी की उपचार क्षमता 632 एमजीडी है. वर्तमान में ये एसटीपी अपनी स्थापित क्षमता का केवल 69 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं. यानी 768 एमजीडी सीवरेज में से सिर्फ 530 एमजीडी का उपचार किया जा रहा है. जून 2024 तक स्थापित उपचार क्षमता 632 एमजीडी से बढ़कर 934.5 एमजीडी हो जाएगी. यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि पर्यावरण विभाग द्वारा तय मानकों के अनुरूप उपचारित अपशिष्ट जल में बीओडी (जैविक आक्सीजन मांग) और टीडीएस (कुल घुलनशील ठोस) 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होना चाहिए.
ये है केजरीवाल सरकार का वादा
दरअसल, दिल्ली सरकार ने फरवरी 2025 तक यमुना को नहाने के मानकों तक साफ करने का वादा अदालतों और अन्य न्यायिक एजेंसियों से कर रखा है. वादों के मुताबिक यदि बीओडी तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है और घुलित आक्सीजन (डीओ) पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है तो नदी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जा सकता है.