दिल्ली मेट्रो को बड़ी सफलता, छतरपुर-इग्नू के बीच 97 मीटर की सुरंग का निर्माण किया पूरा
Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर पर छतरपुर मंदिर और इग्नू मेट्रो स्टेशन के बीच भूमिगत सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया.

Delhi News: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने फेज-4 परियोजना के तहत एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर के छतरपुर मंदिर और इग्नू स्टेशन के बीच भूमिगत सुरंग का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया. आज इग्नू मेट्रो स्टेशन पर टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की सफल ब्रेकथ्रू प्रक्रिया संपन्न हुई. इस मौके पर डीएमआरसी और महालेखापरीक्षक कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.
टनल का निर्माण टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के माध्यम से किया गया, जिसकी लंबाई 97 मीटर है. इस खंड में मेट्रो के अप और डाउन मूवमेंट के लिए दो समानांतर सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है. पहली सुरंग का ब्रेकथ्रू आज सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जबकि दूसरी समानांतर सुरंग का ब्रेकथ्रू मार्च 2025 में निर्धारित है.
मेट्रो को मिली एक और सफलता
इग्नू मेट्रो स्टेशन पर बनी सुरंग औसतन 26 मीटर की गहराई पर स्थित है. इसकी अधिकतम गहराई 36 मीटर और न्यूनतम गहराई 15 मीटर है. अब ये दिल्ली मेट्रो की सबसे गहरी सुरंगों में से एक बन गई है.
नवीनतम तकनीकों का उपयोग
सुरंग का निर्माण अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड (EPBM) तकनीक से किया गया है. इसमें प्रीकास्ट कंक्रीट टनल रिंग्स की लाइनिंग की गई, जिन्हें मुंडका में स्थापित अत्याधुनिक स्वचालित कास्टिंग यार्ड में तैयार किया गया था. कंक्रीट को मजबूती प्रदान करने के लिए स्टीम क्योरिंग सिस्टम का उपयोग किया गया.
भूगर्भीय चुनौतियों को किया पार
टनलिंग के दौरान इंजीनियरों को विभिन्न भूगर्भीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे तीव्र ढलान, अभ्रक युक्त मिट्टी और कठोर चट्टानें. सुरंग निर्माण के दौरान स्क्रू ऑगर क्षतिग्रस्त हो गया था. बदलने के बाद कार्य को सुचारू रूप से पूरा किया गया.
सुरक्षा उपायों का रखा गया ध्यान
मौजूदा वायाडक्ट और आसपास की संरचनाओं के नीचे सुरंग निर्माण में सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाए गए. भू धंसाव रोकने के लिए पास की इमारतों और सतही संरचनाओं पर अत्याधुनिक संवेदनशील उपकरण लगाए गए.
दिल्ली मेट्रो के फेज-4 में कुल 40.109 किलोमीटर भूमिगत ट्रैक बिछाया जा रहा है, जिसमें एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर के तहत 19.343 किलोमीटर का भूमिगत सेक्शन शामिल है. डीएमआरसी पहले भी फेज-III में 50 किलोमीटर से अधिक भूमिगत सेक्शन बना चुका है, जिसमें 30 से अधिक टीबीएम का उपयोग किया गया था.
टनल बोरिंग मशीन की ये भूमिका
टीबीएम आधुनिक मेट्रो टनलिंग की रीढ़ मानी जाती है. ये मशीनें विभिन्न प्रकार की मिट्टी और चट्टानों में आसानी से सुरंग निर्माण करती हैं. टीबीएम तकनीक के माध्यम से बिना किसी इमारत या सतही संरचना को नुकसान पहुंचाए भूमिगत निर्माण कार्य किया जाता है.
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