Vaccine For Children: भारत में कोरोना की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना के बढ़ते रफ्तार को कम करने के लिए और इसके खिलाफ लड़ाई को व्यापक करने के लिए सरकार ने कोविड वैक्सीन 15 से 17 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को भी लगाने की अनुमति दे दी है. भारत सरकार के इस एलान के बाद से पूरे देश में बच्चों का भी तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है. पर कई जगहों पर यह बात उठ रही है कि क्या कोविड वैक्सीन लेने के पहले बच्चों को माता-पिता की लिखित या मौखिक सहमति की जरूरत है. आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे.
माता-पिता के सहमति की नहीं है जरूरत
टाइम्स ऑफ इंडिय के साथ बातचीत करते हुए महाराष्ट्र टीकाकरण अधिकारी सचिन देसाई ने रविवार को इस बारे में बताते हुए कहा कि कोविड-19 टीकाकरण के लिए वर्तमान में 15 से 17 वर्ष के किशोरों के लिए माता-पिता से लिखित या मौखिक महमति की जरूरत नही है. उन्होंने इस भ्रम को लेकर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बताए गए नियमों के अनुसार माता-पिता की सहमति कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए जरूरी नहीं है. यह मामला स्कूल-कॉलेज परिसर में वैक्सीनेशन के दौरान सामने आया है. स्कूल इसके तहत बच्चों को टीका लगाने से पहले माता-पिता की लिखित या मौखिक महमति मांग कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कोविड जैब लेने से पहले कोविड पोर्टल पर पंजीकरण को सहमति माना जाता है और स्कूलों को माता-पिता से सहमति पत्र लाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. यह नियम स्कूल-कॉलेज के अलावा अस्पताल-आधारित टीकाकरण केंद्रों पर बी लागू होता है.
कोविड वैक्सीन लेते समय माता-पिता दे साथ
वहीं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ और कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ प्रमोद जोग ने बताया कि हालांकि माता-पिता की लिखित या मौखिक सहमति की जरूरत नहीं है. पर यह सलाह दी जाती है कि माता पिता बच्चे को कोविड शॉट लेते समय उनका साथ दे. ऐसा करने करने से टीका लगाने वाले का भी विश्वास बढ़ेगा. इसके अलावा अगर माता-पिता टीकाकरण केंद्र पर बच्चों के साथ जाए तो यह बच्चों के लिए काफी प्रेरक होगा. फिलहाल भारत में बच्चों को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाई जा रही है.
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