Doctors Strike in Delhi: दिल्ली में किसके भरोसे मरीज! कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच हड़ताल पर गए डॉक्टर्स
पिछली छह दिसंबर को भी दिल्ली के अस्पतालों में हड़ताल शुरू हुई थी. हालांकि तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के जरिए डॉक्टरों से कुछ दिन का समय मांगा था.
Doctors Strike in Delhi: दिल्ली में इन दिनों लगभग सभी बड़े अस्पतालों में डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं. राजधानी के लेडी हार्डिंग, सफदरजंग, आरएमएल, एलएनजेपी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर आज से हड़ताल पर रहेंगे. नीट पीजी की काउंसलिंग में देरी होने की वजह से रेजिडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन समय के लिए धरने प्रदर्शन पर बैठे हैं. इन डॉक्टरों ने ओपीडी, इमरजेंसी और वार्ड में ड्यूटी देने से मना कर दिया है.
"हम पर बहुत प्रेशर"
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) की प्रतिनिधि शफात अहमद ने कहा "हमें 60-60 घंटे तक काम करना पड़ता है वो भी बिना सोए हुए. हम पर बहुत प्रेशर डाला जा रहा है और क्यों डाला जा रहा है, यह हमें समझ में नहीं आ रहा. काउंसलिंग की डेट चाहिए और जो नए डॉक्टर्स का बैच है वह हमें जल्द से जल्द चाहिए जो हमारी वर्क फोर्स को ज्वाइन करे." सुबह नौ बजे से हड़ताल पर बैठे रेजिडेंट डॉक्टर्स ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगे नहीं सुनी जाएंगी तब तक वे किसी भी तरह की स्वास्थ्य सेवाओं में हिस्सा नहीं लेंगे.
"कोर्ट की तारीखों से नहीं निकल रहा समाधान"
हालांकि नीट पीजी काउंसलिंग का पूरा मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट की ओर से इस मामले की अगली सुनवाई अगले महीने छह जनवरी को होनी है. इसी बीच मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज रेसिडेंट डॉक्टर की सदस्य तृप्ति अनेजा का कहना है, "कोर्ट से हमें तारीख पर तारीख मिलती जा रही है लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है. दिल्ली में ओमिक्रोन दस्तक दे चुका है दूसरी वेव में हमनें देखा था कि कोरोना ने कैसे कहर बरपाया था. इसलिए हम नहीं चाहते कि अगर तीसरी लहर आती है तो किसी भी वजह से दिल्ली के लोगों को खामियाजा भुगतना पड़े. हमारी दिल्ली सरकार से भी गुजारिश है कि जल्द से जल्द जो डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाए नए डॉक्टरों को जल्द से जल्द भर्ती किया जाए हम कोई बहुत बड़ी और नाजायज डिमांड नहीं मांग रहे हैं."
अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल की घोषणा
बता दें कि पिछली छह दिसंबर को भी दिल्ली के अस्पतालों में हड़ताल शुरू हुई थी. हालांकि तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के जरिए कोर्ट में सुनवाई को प्राथमिकता देने की अपील करते हुए डॉक्टरों से कुछ दिन का समय मांगा था. इसलिए नौ दिसंबर को डॉक्टरों ने एक सप्ताह के लिए हड़ताल स्थगित कर दी थी. लेकिन बीते बुधवार को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने देर रात बयान जारी करते हुए 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.
"डिप्रेशन में जा रहे डॉक्टर्स"
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी प्रतीक गोयल का कहना है, "हम सरकार पर दबाव बनाना चाह रहे हैं ताकि सरकार इस बात को समझे कि सरकार की वजह से हमारे और आपके डॉक्टरों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है. बहुत से डॉक्टर ऐसे हैं जो दिमागी तौर पर बीमार रहने लगे हैं डिप्रेशन में चले गए हैं. कहीं ऐसा ना हो कि जब कोरोना की तीसरी लहर आए तो ज्यादातर डॉक्टर डिप्रेशन का शिकार हों. इससे पहले इससे पहले जब हम ने हड़ताल की थी तब हमनें इमरजेंसी सेवाएं बंद नहीं करने का फैसला किया था ताकि मरीजों को दिक्कत ना हो. लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है और अगर अब हमारा दबाव नहीं कम किया गया तो हमारे डॉक्टर ही मरीज बन जाएंगे. हम मरीज की देखभाल अच्छे से कर सके इसके लिए ही हम यह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं."
"मांगे जल्द हों पूरी"
स्वास्थ्य सेवाएं बंद होने से आम आदमी को परेशानियां तो जरूर पेश आ रही हैं लेकिन एलएनजेपी अस्पताल के बाहर कुछ मरीज ऐसे भी हैं, जो रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को जायज ठहरा रहे हैं. एलएनजेपी में अपना इलाज करवाने आई 63 वर्षीय शम्मी खानम का कहना है, "डॉक्टरों ने हमारा बहुत अच्छे से ख्याल रखा. इसलिए डॉक्टरों की मांग जो है वह जायज है. इनकी मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. ये टाइम पर खाना तक नहीं खाते हैं. डॉक्टर रात-दिन एक करके हमारा इलाज करते हैं तो इनकी मांगे क्यों नहीं पूरी की जा रही हैं. सरकार को चाहिए कि उनकी ज्यादा से ज्यादा मदद करें."
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