सावधान! दिल्ली में H3N2 के मामलों में उछाल, अस्पतालों में बढ़े मरीज, एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह
Delhi H3N2 Virus Cases: संक्रमित मरीजों के लिए LNJP अस्पताल के इमरजेंसी ब्लॉक में 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है. डॉक्टरों का कहना है कि H3N2 के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का सहारा न लें.
H3N2 Virus: दिल्ली के अस्पतालों में H3N2 वायरस के मरीजों के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. डॉक्टरों ने इस मामले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में इस वायरस से संक्रमित लोगों को लगातार खांसी हो रही है, जिससे वे काफी कमजोर हो गए हैं. बता दें कि H3N2 वायरस से संक्रमित मरीज में बुखार, सर्दी, खांसी और शरीर में दर्द जैसे लक्षण होते हैं. डॉक्टरों ने कहा कि ओपीडी में इस तरह की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 150 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
मामलों में क्यों हो रही वृद्धि, डॉक्टर ने बताया
वहीं इस संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों के संभावित कारणों को लेकर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट, रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. विनी कातरू ने कहा कि मौसम में परिवर्तन, वायरस के म्यूटेशन और आर्थिक गतिविधियों के पूरी तरह से खुलने की वजह से इसके मामलों में तेजी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों से यह वायरस बड़ों में ट्रांसफर हो रहा है. इसके अलावा लोग एक देश से दूसरे देश जा रहा हैं, इस वजह से भी यह वायरस फैल रहा है.
संक्रमण के खतरे को लेकर अलर्ट मोड पर दिल्ली
दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए इमरजेंसी ब्लॉक में 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है. एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि ICMR की गाइडलाइंस के अनुसार हमने ऐसा किया है और दवाइयों का भी स्टॉक किया है. वहीं एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि इन्फ्लूएंजा से संक्रमित मरीजों की संख्या में पिछले कुछ दिनों में ही वृद्धि हुई है.
'ओपीडी में संक्रमित मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना वृद्धि'
उन्होंने कहा कि पिछले महीने ओपीडी में ऐसे मरीज केवल 2 या 3 थे, लेकिन इस महीने क इन मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वैसे तो संक्रमित मरीजों में बुखार, सर्दी-जुकाम बदन दर्द की समस्या देखने को मिलती है लेकिन कुछ मामलों में मरीजों को पेट में परेशानी, दस्त और यहां तक की कानों में भरापन महसूस हो रहा है.
डॉक्टर ने कहा कि कई बीमारियों से ग्रसित ऐसे रोगियों में इलाज के तरीकों को भी बदला जा रहा है. उनके घरवालों से उनका बीपी, नाड़ी और ऑक्सीजन के स्तर की लगातार निगरानी करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि यदि मरीज का ऑक्सीजन लेवल घटता या बढ़ता है तो फिर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है.
'फिलहात तीन प्रकार में मौजूद है इन्फ्लूएंजा वायरस'
वायरस के मौजूदा स्ट्रेन के बारे में बताते हुए गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. विकास देसवाल ने कहा कि इन्फ्लूएंजा वायरस सबसे प्रचलित वायरस है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. यह फिलहाल तीन अलग-अलग प्रकारों A,B और C में मौजूद है.
'H3N2 के इलाज में एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं'
इनमें से A प्रकार का वायरस सबसे आम है. इसी इन्फ्लूएंजा A वायरस का उपप्रकार है H3N2 जिससे संक्रमित मरीज में अन्य फ्लू वायरस जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं. दोनों डॉक्टरों ने कहा कि कुछ मामलों में यह देखा गया है कि बुखार कम होने के बाद भी मरीजों में लगातार खांसी रहती है. डॉ. देसवाल ने इस समय लोगों को पूरी सावधानी बरतने को कहा है. उन्होंने कहा कि H3N2 जैसे वायरल संक्रमण के इलाज में एंटीबायोटिक्स प्रभावी नहीं है, इसलिए लोगों को उन्हें लेने से बचना चाहिए.
डॉक्टरों ने दी सावधानी बरतने की सलाह
उन्होंने कहा कि यह वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से, ड्रॉपलेट्स से फैल रहा है. इसलिए एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखें और सार्वजनिक स्थान पर कुछ भी छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करें. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त यह जरूरी है कि लोग हर साल इन्फ्लूएंजा के खिलाफ टीकाकरण करवाएं.
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