Delhi News: राजधानी दिल्ली में अगले महीने G-20 की बैठक होनी है, जिसके लिए तमाम तरह की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. जो थोड़ी-बहुत कमी रह गयी है, उसमें तेजी लाकर जल्द ही उसे भी पूरा करने की कोशिश की जा रही है. इसी कड़ी में दिल्ली नगर निगम ने G-20 समिट को देखते हुए दिल्ली के 50 इलाकों से स्ट्रीट डॉग्स (आवारा कुत्तों) को सड़क से हटाने का काम शुरू किया है.
उन स्ट्रीट डॉग्स को उठा कर शेल्टर होम में छोड़ा जा रहा है. जिस पर अब आरडब्ल्यूए के साथ पशु प्रेमी भी सवाल उठाने लगे हैं. जहां आरडब्ल्यू कुत्तों को G-20 को लेकर सड़क से हटाने पर MCD की नीयत पर सवाल उठा रही है, तो वहीं पशु प्रेमियों का कहना है कि कुत्तों को इस तरह से रीलोकेट नहीं किया जाना चाहिए और न ही उन्हें इतने लंबे समय तक एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर में रखा जा सकता है.
'MCD को नहीं लोगों की चिंता'
RWA ने MCD की इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि नगर निगम राजधानी के 50 इलाकों से कुत्तों को पकड़कर एवीसी सेंटर में रखने जा रही है. एमसीडी कुत्तों को लोगों के लिए खतरा बता कर उन्हें सड़कों पर से हटा रही है. MCD दिल्ली के 50 इलाकों से कुत्तों को हटा रही है, फिर चाहे कुत्तों की नसबंदी की गई हो या नहीं. RWA का कहना है कि G-20 को देखते हुए इन कुत्तों को हटाया जा रहा है, उन्हें दिल्ली में आने वाले पर्यटकों की चिंता है, उन लोगों की नहीं जो कुत्तों का शिकार होते आ रहे हैं. उनके अनुसार लोगों की सुरक्षा के लिए भी इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए. उनका कहना है कि इससे साफ पता चलता है कि दिल्ली में कुत्तों को पकड़ने के लिए संसाधन और क्षमता है, लेकिन MCD इसका इस्तेमाल नहीं कर रही है.
'इतने कुत्ते रखने की सुविधा नहीं'
पशु प्रेमी MCD के इस कार्य का विरोध कर रहे हैं. एनिमल एक्टिविस्ट शकुल भल्ला ने बताया कि 4 से 30 अगस्त तक कुत्तों को भारी संख्या में रिलोकेट किया जा रहा है. जबकि एमसीडी के पास इतने कुत्तों को रखने की कोई सुविधा नहीं है. एमसीडी मदद से 18 एबीसी सेंटर चला रही है. एमसीडी वीआईपी मूवमेंट के दौरान पहले भी कुत्तों को हटाती रही है, लेकिन यह महज एक दो दिन के लिए होता है. इतने बड़े पैमाने पर कुत्तों को हटाना ठीक नहीं है. इससे कुत्तों में बीमारियां फैल सकती हैं. वहीं संजय गांधी एनिमल केयर सेंटर की अंबिका का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को सेंटर में पहले कभी नहीं ले जाया गया है. सेंटर पहले ही क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं. साथ ही कुत्तों को करीब एक महीने तक एबीसी सेंटर में रखना भी नियमों के खिलाफ है.