Doorstep Delivery Scheme Delhi: कई ऐसे सरकारी कामकाज होते हैं, जिसको लेकर देश का आम नागरिक महीनों सालों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता रहता है और कहना होगा कि सरकारी तंत्र की जड़ में जमे भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा शिकार भी यही व्यक्ति होता है. वैसे दिल्ली सरकार (Delhi Government) की तरफ से एक बेहद खास योजना मार्च 2018 में निकाली गई थी, जिसके माध्यम से घर बैठे लोगों को महत्वपूर्ण दस्तावेज और सरकारी कामकाज की सुविधा मिल सकेगी.
जी हां! आप सुनकर बेहद आश्चर्यचकित हो रहे होंगे कि घर बैठे इन सरकारी सुविधाओं का लाभ मुमकिन है. उस योजना का नाम है 'डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम दिल्ली.' इसकी मदद से राजधानी में रहने वाले लोगों को लगभग 3 दर्जन से अधिक सरकारी कामकाज से जुड़ी सेवाएं घर पर प्राप्त होंगी. इसके लिए उन्हें अतिरिक्त पैसे देने की जरूरत भी नहीं होगी.
सरकारी काम के लिए कैसे करें कर्मचारी से संपर्क?
डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम दिल्ली के लिए रोजाना लगभग 2,000 से अधिक कॉल राजधानी से किए जाते हैं, जिसमें 1,000 लोगों का अपॉइंटमेंट बुक किया जाता है. कॉल के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से 1076 टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. इस पर कॉल करके अपॉइंटमेंट लिया जाता है. इस सर्विस के लिए अपॉइंटमेंट बुक करने के बाद मोबाइल सहायक आप से 50 रुपये चार्ज करेगा. इसके अलावा कोई भी अतिरिक्त धनराशि आपको नहीं देनी होगी.
2018 में शुरू हुई यह स्कीम कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान कुछ महीनों के लिए बंद कर दी गई थी, लेकिन एक बार फिर से 2021 से इस स्कीम को चालू कर दिया गया था. वैसे इसमें दिल्ली सरकार के दिशा-निर्देश पर मिलने वाली अन्य सरकारी कामकाज की सुविधाओं को और बढ़ाया जाता है.
किन क्षेत्रों से जुड़ी सुविधाएं मिलेंगी घर बैठे?
दिल्ली में डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम के दौरान घर बैठे तीन दर्जन से अधिक सरकारी कामकाज से जुड़ी सुविधाएं लोगों को मिलेंगी. इसमें परिवहन विभाग, सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट, राशन विभाग, जल विभाग, बिजली विभाग, श्रम विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, कानून और न्याय विभाग और अन्य सरकारी विभाग से जुड़े कामकाज शामिल हैं.
इस बीच शुक्रवार को पंजाब दौरे पर गए दिल्ली के सीएम केजरीवाल की ओर से यह भी एलान किया गया है कि जिस प्रकार दिल्ली में डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम की शुरुआत की गई है, ठीक उसी तरह पंजाब में भी इसकी शुरुआत की जाएगी. इसके माध्यम से लोगों के सरकारी दफ्तरों में अतिरिक्त पैसे खर्च न हो सके और उन्हें दफ्तर जाने की भी आवश्यकता न पड़े.