Delhi News: डूसू चुनाव 2023 का परिणाम (DUSU Election 2023 Result) आने के बाद से दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है. अब चर्चा इस बात की है कि क्या डूसू चुनाव का असर दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर होगा. इस मसले पर अलग-अलग पार्टी नेताओं की राय बंटी हुई है. बीजेपी (BJP) के नेता मानते हैं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी चुनाव परिणाम देशभर के युवाओं के सियासी सोच का रुझान है. इसलिए, इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2023) के दौरान होगा. इसके उलट कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं का कहना है कि इसका असर नहीं होगा. इंडिया गुट के दोनों दलों के नेताओं का तर्क यह है कि यूनिवर्सिटी चुनाव परिणाम से भले ही सियासी चर्चाओं को बल मिला है, लेकिन इसका असर आगामी संसदीय चुनाव पर स्थानीय मामला होने की वजह से नहीं होगा. 


DU के युवाओं ने निकाल दी विरोधियों की हवा: BJP


दिल्ली भारतीय जनता पार्टी के नेता आशीष सूद (Ashish Sood) का कहना है कि भारत युवाओं का देश है. युवा मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा दुनिया में हमारे देश में है. डीयू में देशभर के युवा पढ़ाई करते हैं. डूसू चुनाव 2023 के दौरान सियासी दलों ने रोजगार, नई शिक्षा नीति, स्वास्थ्य, यूनिवर्सिटी एजुकेशन सहित कई राष्ट्रीय मुद्दे उठाए. छात्रों से उसी के मद्देनजर वोट करने की अपील की. कांग्रेस पार्टी ने डूसू चुनाव में उन्हीं पहलुओं को मुद्दा बनाया जो राहुल गांधी बीजेपी के खिलाफ जोरदार तरीके उठाते आये हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने यूनिवर्सिटी चुनाव में जमकर प्रचार किया. राष्ट्रीय मसलों को डीयू चुनाव में उछाला. राहुल गांधी चुनाव से पहले हॉस्टल पहुंचकर छात्रों के साथ लंच किया. एनएसयूआई को जिताने के लिए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अलका लांबा, अनिल चौधरी, कन्हैया कुमार सहित 26 स्टार प्रचारकों की ड्यूटी लगाई. इन लोगों ने तरह-तरह के आरोप लगाए. इनके हथकंडों की डीयू के छात्रों ने हवा निकल दी. अब इसका असर लोकसभा चुनाव में होना तय है. विरोधी दलों का आगामी चुनावों में भी बुरा हाल होगा. 


BJP वाले डीयू के भरोसे रहे तो हमारा होगा भला: AAP


वहीं, आम आदमी पार्टी और एमसीडी सदन के नेता मुकेश गोयल (Mukesh Goyal) का बीजेपी नेताओं के बयान से सहमत नहीं है. उनका कहना है कि डूसू चुनाव का लोकसभा चुनाव पर कोई असर नहीं होता. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय स्टूडेंट इलेक्शन हर साल व्यक्तिगत संपर्क और नेटवर्क के दम पर लड़ा जाता है. इसमें  यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच प्रत्याशी छात्रों की लोकप्रियता ज्यादा काम करती है. ये बात सही है कि इस चुनाव में रोजगार, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सहित सभी मुद्दे उठाए गए. कांग्रेस नेता गोयल का कहना है कि अगर ऐसा होता तो बीजेपी का लोकसभा, विधानसभा और एमसीडी सभी पर कब्जा होता, लेकिन क्या है लोकसभा की बात छोड़ दें तो बीजेपी न तो विधानसभा में हैं और न ही एमसीडी में सत्ता में है. जबकि पिछले कई वर्षों से डूसू पर उसी का कब्जा है. साल 2019 में भी डूसू में एबीवीपी जीती थी, लेकिन विधानसभा में बीजेपी की करारी हार हुई. यानी डीयू चुनाव को कोई असर नहीं देखने को मिला. बीजेपी सांसदों की लोगों में पकड़ कितनी है, सभी जानते हैं. बीजेपी वालों को डीयू के भरोसे रहे तो हमारा ही भला करेंगे.


काम पर कम दुष्प्रचार पर भरोसा ज्यादा: Congress


दिल्ली कांग्रेस के प्रवक्ता अनुज आत्रेय (Anuj Atrey) डीयू चुनाव परिणाम को लेकर मुकेश गोयल की राय से सहमत होते नजर आये. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव का लोकसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ता है. इसके पीछे उनका लॉजिक है कि ये चुनाव यूनिवर्सिटी और कॉलेज के मसले पर लड़े जाते हैं. इसका असर स्थानीय ज्यादा होता है, जब​कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं. यह पूछे जाने पर कि डूसू चुनाव में कांग्रेस स्टार प्रचारकों ने सक्रिय भूमिका निभाई, रोजगार,​ शिक्षा, स्वास्थ्य सहित युवाओं के मसले उठाए गए. ये सभी मसले राष्ट्रीय ही तो हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद डूसू चुनाव का दायरा कॉलेज यूनिवर्सिटी लेवल तक ही सीमित होता है. इसमें आपका निजी संपर्क ज्यादा महत्व रखता है. बीजेपी वाले गलत नैरेटिव करने में लगे रहते हैं. उन्हें अपने काम पर कम दुष्प्रचार पर ज्यादा भरोसा है. 


बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2023 में चार में से तीन सीटों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. एबीवीपी के प्रत्याशी डूसू अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर जीते हैं. एनएसयूआई के प्रत्याशी सिर्फ उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए.


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