Delhi Latest News: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने तपेदिक (टीबी) से निपटने और इसके कारण मृत्यु दर को कम करने के अपने प्रयासों के तहत अब तक 50 हजार से अधिक वयस्कों को बीसीजी का टीका लगाया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत किए गए व्यस्क बीसीजी टीकाकरण अध्ययन का मुख्य मकसद दिल्ली के पांच जिलों में हाई रिस्क श्रेणी में आने वाले वयस्क मरीजों को इससे प्रभाव ने बाहर लाना है.  


दिल्ली के हाई रिस्क वाले टीबी के मरीज नई दिल्ली, उत्तर-पूर्व, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण में अधिक हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि परंपरागत तौर पर नवजात शिशुओं को दी जाने वाली बैसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (बीसीजी) वैक्सीन का उपयोग अब वयस्कों (विशेषकर उच्च जोखिम वाले वयस्कों) में टीबी के मामलों को कम करने की इसकी क्षमता का पता लगाने के लिए किया जा रहा है. 


तीन साल तक रखी जाएगी मरीजों पर नजर 


दिल्ली सरकार का यह अध्ययन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के सहयोग से की गई पहल का हिस्सा है. 


दिल्ली सरकार के इस योजना के तहत तक दिल्ली के लक्षित जिलों में लगभग 50 हजार पात्र वयस्कों को बीसीजी का टीका लगाया जा चुका है. इसमें कहा गया है कि अध्ययन के दौरान अगले तीन वर्षों में इन लोगों के स्वास्थ्य पर करीब से नजर रखी जाएगी. 


कम टीका लगने की वजह क्या है?  


दरअसल, देश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को केंद्र में रखते हुए केंद्रीय टीबी संभाग और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की पहल के तहत ट्रायल के रूप में वयस्क लोगों को बीसीजी का टीका देने के लिए निर्धारित अवधि खत्म हो गई है. 


तीन माह की तश्इ अवधि में दिल्ली के पांच जिलों में करीब 15 लाख वयस्क लोगों को टीबी का टीका दिए जाने का लक्ष्य था, लेकिन 46 हजार वयस्कों ने ही टीका लिया. यानी तय अवधि में 97 प्रतिशत कम लोगों को टीका लग पाया. इसकी वजह यह है कि लोगों ने इस अभियान में विशेष रूचि नहीं दिखाई. 


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