Electric Vehicles : देश में बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दाम और पर्यावरण संरक्षण की कोशिशों के बीच इलैक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric vehicles) को ना सिर्फ एक अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है बल्कि इन्हें फ्यूचर ऑफ ट्रांसपोर्ट भी कहा जा रहा है. अभी तक बाजार में फोर व्हीलर्स और टू व्हीलर्स के कई इलैक्ट्रिक वैरिएंट्स आ चुके हैं और कई तरह की छूट के साथ उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जा रहा है. देश की राजधानी (Delhi) में अचानक इलैक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद में तेजी देखने को मिली है.
दिल्ली में बढ़ी इलैक्ट्रिक व्हीकल्स की डिमांड
दिल्ली में रजिस्ट्रेशन डाटा से मिलने आंकड़ों को देखे तो इलैक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद में तेजी देखने को मिल रही है. इतना ही नहीं इलैक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या सीएनजी और दूसरे हाईब्रिड फ्यूल व्हीकल्स को पीछे छोड़ रही है. अभी तक दिल्ली में कुल रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या में सात फीसदी इलैक्ट्रिक व्हीकल्स आ चुके हैं. उधर सीएनजी व्हीकल्स की बात करें तो ये सिर्फ छह फीसदी रहा है.
डेढ़ लाख वाहनों का हुआ रजिस्ट्रेशन
हालांकि इलैक्ट्रिक व्हीकल्स को उपभोक्ता एक विकल्प के तौर पर चुन रहे हैं लेकिन आंकड़ों में अभी भी पेट्रोल और डीजल वाहन ही आगे हैं. जुलाई से सितंबर 2021 तक दिल्ली में डेढ़ लाख वाहनों को रजिस्ट्रेशन हुआ है, इनमें 7869 इलैक्ट्रिक व्हीकल्स शामिल हैं जबकि सीएनजी वाहनों की संख्या 6857 है. बाकी के 93091 वाहन पेट्रोल और डीजल से चलने वाले हैं. ये आंकड़े दिल्ली सरकार के डाटा से लिए गए हैं.
कैलाश गहलोत ने कही ये बात
दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत के मुताबिक ये सब दिल्ली सरकार की इलैक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का असर है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी इस नीति के अच्छे नतीजे देखने को मिल रहे हैं. इलैक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद में लगातार तेजी आ रही है. हमनें दिल्ली को इलैक्ट्रिक व्हीकल्स कैपिटल बनाने का सपना देखा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस विजन को लेकर दिल्ली सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है.
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