Delhi Electricity Subsidy News: दिल्ली सरकार (Delhi Government) की सब्सिडी का लाभ उठा कर बिजली का उपभोग करने वालों के लिए झटका देने वाली खबर है. कुछ बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त हो सकती है. दरअसल सरकार का पावर डिपार्टमेंट एक प्रस्ताव तैयार करने में लगा हुआ है, जिसमें उन बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी खत्म की जा सकती है, जिनके बिजली मीटर का लोड तीन किलो वाट से ज्यादा है.


दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के सुझाव पर ऊर्जा विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इसे मंजूरी के लिए जल्द ही दिल्ली सरकार की कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. इसके मंजूरी मिलने के बाद लगभग पांच लाख बिजली उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त हो जाएगी. ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डीईआरसी ने तीन किलोवाट से ज्यादा लोड वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया. इसी के आधार पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इसके लागू होने पर सब्सिडी प्राप्त कर रहे 9 फीसदी उपभोक्ता प्रभावित होंगे.


वैकल्पिक है सब्सिडी


दिल्ली सरकार ने पिछले साल अक्टूबर से सब्सिडी योजना को वैकल्पिक बना दिया. इसके चुने जाने पर ही घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर छूट मिलती है. प्रतिमाह 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 100 फीसदी और 201 से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों को 50 फीसदी छूट मिलती है. वहीं जिनकी बिजली की खपत 400 यूनिट से ज्यादा होती है, वो सब्सिडी के दायरे से बाहर हो जाते हैं. अभी जिनका लोड 03 केबी से ज्यादा है, उनकी बिजली खपत 400 यूनिट से ज्यादा होती है. ऐसे में उन्हें सब्सिडी लागू होने के बाद भी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलता है. हालांकि अभी तक बिजली लोड की कोई शर्त लागू नहीं है, सिर्फ प्रतिमाह बिजली की खपत के आधार पर उपभोक्ता सब्सिडी का पात्र होता है.


48 लाख उपभोक्ताओं ने लिया था सब्सिडी


दिल्ली में लगभग 58.28 लाख बिजली उपभोक्ता हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 55 लाख उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर छूट मिली थी. योजना को वैकल्पिक बनाए जाने के बाद इस वर्ष 15 फरवरी तक 48.14 लाख उपभोक्ताओं ने सब्सिडी के लिए पंजीकरण कराया है. वित्त वर्ष 2022-23 में सब्सिडी के लिए 3250 करोड़ रुपये रखे गए थे. अधिकारियों के अनुसार वैकल्पिक योजना बनने के बाद लगभग दो सौ करोड़ रुपये की बचत हुई है. वहीं तीन किलोवाट लोड की शर्त लागू हो जाने के बाद अगले वित्त वर्ष में लगभग तीन सौ करोड़ रुपये बचने की संभावना है.


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